हाथियों ने अब तक 137 लोगों को उतारा मौत के घाट
सरगुजा संभाग में हाथियों का आतंक इतना बढ़ गया है कि अब तक हाथियों द्वारा हुए जानमाल की हानि के आंकड़े को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है;
अंबिकापुर। सरगुजा संभाग में हाथियों का आतंक इतना बढ़ गया है कि अब तक हाथियों द्वारा हुए जानमाल की हानि के आंकड़े को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है। कि पिछले 5 वर्षों में संभाग के पांचों जिलों में कुल 137 लोगों को हाथियों ने मार डाला है। वहीं संभाग में अन्य जंगली जानवरों का भी आतंक है।
5 सालों में हाथियां के अलावा अन्य जंगली जानवरों के हमले में 73 लोगों की जाने गंवाई हैं। विदित हो कि सरगुजा संभाग में हाथियों का आतंक फैला हुआ है। संभाग में हाथियों के कई दल घूम रहे हैं। इन दलों द्वारा आये दिन लोगों को मारा जाता है वहीं फसलों और घरों को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है। हाथियों द्वारा प्रतिवर्ष और आक्रामक होते हुए लगातार लोगों को मारने का काम किया जा रहा है। कई बार तो लोग अपनी गलतियों से भी हाथी के षिकार हो जा रहे हैं परंतु अधिकतर मामलों में हाथियों द्वारा लोगों को घेरकर मार डाला जा रहा है। पिछले 5 वर्षो में हाथियों द्वारा मारे जाने के घटनाओं पर गौर किया जाये तो हाथियों ने सरगुजा जिले में 2013-14 से नवम्बर 2017 तक 30 लोगों को मार डाला है।
सूरजपुर जिले में इस दौरान हाथियों ने 38 लोगों को मार डाला है। सूरजपुर जिले में इस दौरान हाथियों ने 38 लोगों को मारा है वहीं बलरामपुर में 24, जषपुर में 39 और कोरिया में 4 लोगों ने हाथियों के हमले में जान गंवाई है। इसके अलावा हाथी संरक्षण पार्क में भी हाथियों ने एक व्यक्ति को यमलोग पहुंचा दिया है। हाथियों के आतंक से सबसे ज्यादा प्रभावित संभाग का जषपुर जिला रहा है। यहां हाथियों ने 5 सालों में 39 लोगों को मार डाला है।
वहीं अन्य जंगली जानवरों से हुई मौतों के मामले में कोरिया जिला सबसे अधिक प्रभावित है। इन 5 सालों में 82 ऐसे भी भाग्यषाली रहे जो हाथियों के चपेट में आकर मरने से बच गये और जिन्हें हाथियों ने घायल करके छोड़ दिया। ऐसे लोगों में भी सर्वाधिक संख्या जषपुर जिले के लोगों की ही है। आंकड़ों के अनुसार 5 सालों में वर्ष 2016-17 में हाथियों का आतंक चरम पर रहा है। इस दौरान हाथियों ने कुल 53 लोगों को मौत की नींद सुला दिया।
इस वर्ष हाथियों के हमले में सर्वाधिक मौतें संभाग के सूरजपुर जिले में हुई जहां हाथियों ने 17 लोगों को मार डाला। दूसरे नम्बर पर जषपुर जिला रहा जहां 15 लोगों ने इस दौरान अपनी जान गंवाई। वहीं सरगुजा में 12 लोग इस अवधि में काल कवलित हो गये। इस वर्ष बलरामपुर में 9 लोग हाथियों की भेंट चढ़ गये। संभाग में कोरिया एकमात्र ऐसा जिला रहा जहां इस दौरान हाथियों ने किसी को भी नहीं मारा। 5 वर्षो के दौरान हाथियों द्वारा जहां 137 इंसानों की जान ली गयी वहीं इस दौरान हाथियों ने 23 पषुओं को भी मार डाला। इसमें सर्वाधिक 19 पषुओं को हाथियों द्वारा वर्ष 2015-16 में मारा गया है।
इस वर्ष केवल बलरामपुर जिले में ही हाथियों ने 12 पषुओं को मार डाला। वहीं जषपुर जिले में 4, सरगुजा के 1 तथा एलीफेंट रिजर्व सरगुजा में 2 पषुओं को हाथियों ने मारा है।
७ हजार मकानों को किया ध्वस्त
हाथियों द्वारा इस अवधि में संभाग में 7022 घरों तथा संपतियों को भी नुकसान पहुंचाया गया है। वर्ष 2013-14 में हाथियों ने संभाग में कुल 357 घरों को तोड़ा था। अगले वर्ष यह आंकड़ा 324 था वर्ष 2015-16 से षासन द्वारा मकानों के साथ ही अन्य संपतियों को भी मुआवजे के लिए षामिल करने के कारण इस आंकड़े में अप्रत्याषित वृद्धि दर्ज की गई तथा वर्ष 2015-16 में यह आंकड़ा 2442 पहुंच गया। इसके अगले साल आंकड़ा 2004 रहा तथा वर्ष2017 में नवम्बर माह तक यह आंकड़ा 1895 तक पहुंच चुका था।
मुआवजा करोड़ों में
हाथियों के हमले में मरने वाले व्यक्ति के परिजनों को षासन द्वारा 4 लाख रूपए मुआवजा दिया जाता है। वहीं फसल, मकान, पषु, हानि तथा लोगों के घायल होने पर भी मुआवजा वितरित करने का प्रावधान है। इन पांच सालों में हाथियों के द्वारा लोगों को मारे जाने एवं नुकसान पहुंचाए जाने पर वन विभाग द्वारा करोड़ों रूपए की राषि मुआवजे के रूप में बांटी गई है।
सरगुजा संभाग के अंतर्गत स्थित तीन अभ्यारण तमोर पिंगला, सेमरसोत तथा बादलखोल को षासन द्वारा हाथियों के लिए संरक्षित स्थान के रूप में मान्यता दी गई है। इन तीनों अभ्यारण क्षेत्रों में पिछले चार वर्षो में हाथियों ने केवल एक व्यक्ति को ही मारा है। यह आष्चर्य की बात है कि हाथियों के संरक्षण हेतु घोषित क्षेत्र में हाथियों को रोके रखने के लिए विभाग द्वारा कोई ठोस उपाए नहीं किए जा रहे है। जिस कारण हाथी इन क्षेत्रों से बाहर निकल कर लोगों को मार रहें हैं।
73 अब तक 73 लोग हुए अन्य जंगली जानवरों के हमले के शिकार
हाथियों के साथ ही सरगुजा संभाग में भालूओं का भी बड़ा आतंक है। इसके अलावा अन्य जंगली जानवरों के कारण भी लोगों की मौत हो रही है। 2013-14 से नवम्बर 2017 तक संभाग में अन्य जंगली जानवरों के हमले में 73 लोगों की मौत हो चुकी है।
इनमें सरगुजा संभाग में 6, सूरजपुर में 14 बलरामपुर में 20, जषपुर में 11 जबकि कोरिया जिले में सर्वाधिक 22 लोगों की जान अन्य जंगली जानवरों के हमले में गयी है।