ललित सुरजन की कलम से- वैज्ञानिक जिन्हें हम भूल न जाएं

'पिछले दिनों हमने अपने तीन महान वैज्ञानिकों को खो दिया, लेकिन उनके निधन पर न तो मीडिया में कोई खास चर्चा सुनने मिली और न उन उच्च शिक्षण संस्थानों में उन्हें शायद ही याद किया गया;

Update: 2025-03-17 06:24 GMT

'पिछले दिनों हमने अपने तीन महान वैज्ञानिकों को खो दिया, लेकिन उनके निधन पर न तो मीडिया में कोई खास चर्चा सुनने मिली और न उन उच्च शिक्षण संस्थानों में उन्हें शायद ही याद किया गया जिनको बनाने संवारने में उन्होंने अपना पूरा जीवन खपा दिया। हमें कभी भारत का अर्थ बताया गया था कि जो भा अर्थात बुद्धि और ज्ञान की साधना में रत हो वह भारत है।

आज का दृश्य देखकर लगता है कि यह परिभाषा शायद मनगढ़ंत है। यहां टीवी के छोटे-मोटे कलाकारों को देखने के लिए भीड़ उमड़ती है, नामचीन फिल्मी सितारों के मिनट-दो मिनट के कार्यक्रम के लिए करोड़ों लुटा दिए जाते हैं, लेकिन विश्वगुरु होने का दावा करने वाले इस देश में उन गुरुओं का कोई सम्मान नहीं, उन्हें कोई याद नहीं करता, जिन्होंने सचमुच मां भारती की सेवा की है।'

'हमारी शासन व्यवस्था, समाज व्यवस्था और शिक्षा व्यवस्था- सब में ज्ञान, विवेक और तर्कबुद्धि, इन सबका मानो कोई स्थान नहीं रह गया है। अंग्रेजी में जिसे सॉफ्ट पावर कहा जाता है उसे हम लगभग भूलते जा रहे हैं।'
(देशबंधु में 10 अगस्त 2017 को प्रकाशित)
https://lalitsurjan.blogspot.com/2017/08/blog-post_9.html

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