अनधिकृत कालोनियों में विस्तार न कर पाने से दिल्लीवासियों को झेलनी पड़ रही है बिजली की किल्लत
गर्मियों में बिजली किल्लत के लिए फजीहत झेल रही बिजली कंपनियों का दावा है कि उनकी तैयारियां पूरी हैं लेकिन न्यूनतम तापमान लगातार अधिक रहने के कारण बिजली नेटवर्क को ठंडा होने का वक्त नहीं मिल पाता है;
नई दिल्ली। गर्मियों में बिजली किल्लत के लिए फजीहत झेल रही बिजली कंपनियों का दावा है कि उनकी तैयारियां पूरी हैं लेकिन न्यूनतम तापमान लगातार अधिक रहने के कारण बिजली नेटवर्क को ठंडा होने का वक्त नहीं मिल पाता है, जिससे उस पर दबाव बढ़ने पर फॉल्ट्स होते हैं। इतना ही नहीं बिजली किल्लत के लिए ऐसे इलाके भी जिम्मेदार हैं जहां विस्तार की आवश्यकता है लेकिन स्थानाभाव के चलते संभव नहीं हो पा रहा है।
खासकर अनाधिकृत क्षेत्रों में जगह की कमी के चलते डिस्कॉम्स अपने नेटवर्क का जरूरी विस्तार नहीं कर पा रही हैं।
अधिकारियों के मुताबिक ऐसे करीबन 600 इलाकों को चिह्नित किया गया था, जहां नेटवर्क विस्तार की तत्काल आवश्यकता थी। सरकारी एजेंसियों और निवासियों के सहयोग से ऐसे 200 स्थानों पर, जगह की समस्या का समाधान होने के बाद वहां नेटवर्क का विस्तार कर दिया गया है। लेकिन अभी भी 400 ऐसे स्थानों पर नेटवर्क का विस्तार होना बाकी है।
बिजली की अत्यधिक चोरी वाले इलाकों में बिजली की मांग में अप्रत्याशित ढंग से बढ़ोतरी हुई है, जिससे बिजली वितरण नेटवर्क में ट्रिपिंग होती है और बिजली वितरण से जुड़े उपकरण जल भी जाते हैं। अनाधिकृत कॉलोनियों में होने वाली बिजली की चोरी के कारण आसपास की कॉलोनियों के उपभोक्ताओं की बिजली भी प्रभावित होती है।
बीएसईएस ने दावा किया है कि बेहतर बिजली व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए उसने पिछले एक साल के दौरान बिजली वितरण नेटवर्क की क्षमता में 600 एमवीए की बढ़ोतरी की है। बिजली के ग्रिडों, तारों, खंभों, पैनलों और फीडरों के अलावा 670 नए र्टंसफॉर्मर लगाए गए हैं, ताकि उपभोक्ताओं को पहले के मुकाबले बेहतर बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।
नेटवर्क को सशक्त बनाने के लिए 400 किलोमीटर लंबाई वाली अतिरिक्त केबल के साथ साथ बीते एक साल के दौरान समूचे नेटवर्क को दुरूस्त करने के लिए 700 करोड़ रूपये का निवेश किया है। बता दें कि बीएसईएस 950 वर्ग किलोमीटर में दक्षिण, पश्चिम, मध्य और पूर्वी दिल्ली के लगभग 40 लाख उपभोक्ताओं यानी दो-तिहाई दिल्ली को बिजली उपलब्ध कराती है।