पेयजल संकट को मप्र सरकार नजरअंदाज कर रही: अजय सिंह
मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा है कि प्रदेश में व्याप्त सूखे और पेयजल संकट के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति बदतर हो चुकी है;
भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा है कि प्रदेश में व्याप्त सूखे और पेयजल संकट के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति बदतर हो चुकी है, लेकिन प्रदेश सरकार लोगों की इस समस्या पर ध्यान देने के बजाय, नजरअंदाज कर रहे हैं।
नेता प्रतिपक्ष कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार श्री सिंह ने कहा कि आज प्रदेश की 5 करोड़ से अधिक की आबादी पेयजल संकट से जूझ रही है, वहीं 10 लाख से अधिक लोग राहत कार्य न खुलने की वजह से काम की तलाश में प्रदेश से बाहर के लिए पलायन कर गए हैं।
उन्होंने कहा कि वे इस मुद्दे पर विधानसभा में स्थगन प्रस्ताव लाएंगे।
उन्होंने कहा कि सूखे की मार झेल रहे ग्रामीण क्षेत्रों में इस समय हाहाकार की स्थिति बनी हुई है।
हाल ही में ओला वृष्टि ने किसानों और ग्रामीणों की कमर ही तोड़ दी है।
उन्होंने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि वे इतनी भयावह स्थिति के बाद भी लोगों को आज तक कोई राहत नहीं दे पाई है।
उन्होंने कहा कि अभी पूरी तरह गर्मी की शुरूआत नहीं हुई है और प्र्रदेश में फरवरी माह में ही जलस्तर नीचे चला गया है और ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लोगों में पेयजल को लेकर हाहाकार की स्थिति निर्मित हो गई है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में सवा पांच लाख हैंडपंप में से 2.50 लाख हैंडपंप बंद पड़े हैं। जल स्तर नीचे जाने से 18 हजार से अधिक हैंडपंप सूख गए हैं।
बिजली संकट के कारण 2674 नलजल योजनाएं बंद पड़ी हुई हैं। लगभग 12235 ऐसे ग्राम पंचायत हैं जो नलजल विहीन हैं।
23 हजार ग्राम पंचायतों में से 12 हजार ग्राम पंचायतें ऐसी हैं जहां आज तक नलजल योजना नहीं पहुंची है।
जिन ग्राम पंचायतों में नल जल योजना संचालित हैं वहां 10590 ग्राम पंचायतों में बदतर स्थिति हैं, लोगों को उनका लाभ नहीं मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि 14 साल बाद भी प्रदेश की आधी आबादी भी जल समस्या से ग्रसित है। ग्रामीण क्षेत्रों में मात्र 50 लाख लोगों को ही सरकारी पेयजल योजना का लाभ मिल पा रहा है।
प्रदेश के 44 प्रतिशत शहरों में एक दिन से अधिक छोड़कर पानी की का वितरण हो रहा है।
23 जिलों में पानी के परिवहन की स्थिति निर्मित हो गई है।