बूंद-बूंद पानी के लिए तरसने लगी तालाबों की नगरी

लगातार अल्पवर्षा की वजह से रतनपुर भी बूंद-बूंद पानी को तरसने लगा है। इन दिनों जब तापमान 45 डिग्री के आसपास चल रहा है;

Update: 2018-05-24 12:58 GMT

रतनपुर। लगातार अल्पवर्षा की वजह से रतनपुर भी बूंद-बूंद पानी को तरसने लगा है। इन दिनों जब तापमान 45 डिग्री के आसपास चल रहा है। तब आसपास के शहरों के साथ रतनपुर में भी पानी की मारामारी नजर आने लगी है। यह नजारे इसलिए हैरान करने वाले हैं क्योंकि ऐसे नजारे यहां हमेशा दुर्लभ रहे हैं।

रतनपुर का सौभाग्य रहा है की उसे जल स्रोत सौगात के रूप में मिले हैं और रतनपुर को कभी भी ,कम से कम पानी के लिए तो नहीं तरसना पड़ा लेकिन विगत कुछ वर्षों से लगातार अल्प वर्षा की स्थिति होने से रतनपुर में भी जल संकट गहराने लगा है। ऐसा नहीं है कि यह जल संकट कुदरत की मार हो बल्कि इस जल अभाव को स्वयं यहां के लोगों के स्वार्थ और शासन की अनदेखी ने हीं जन्म दिया है।

रतनपुर को हमेशा से तालाबों की नगरी कहा जाता रहा है। इसके पीछे यहां मौजूद 1500 से अधिक तालाबों की संख्या रही है कलचुरी कालीन राजाओं ने केवल जल स्रोत और सिंचाई व्यवस्था के लिए ही तालाबों का निर्माण नहीं कराया बल्कि उनके किलों की अभेद सुरक्षा  भी इन्हीं तालाबों की वजह से  रही थी।

रतनपुर क्षेत्र में मौजूद पुराने किलो को देख कर समझा जा सकता है कि किस तरह उनकी सुरक्षा के लिए किलों के चारों तरफ तालाब खुदवाए गए थे। कहते हैं उन तालाबों में मगरमच्छ छोड़े जाते थे ताकि दुश्मन उन तालाबों को पार कर किले तक ना पहुंच सके रतनपुर के समृद्ध कलचुरी राजाओं ने कृषि पर भी खासा ध्यान दिया था।

और इसीलिए उन्हें जल प्रबंधन में माहिर माना जाता था, वर्षभर जल स्रोत सुरक्षित रहे इसलिए यहां सैकड़ों की संख्या में तालाब खुदवाए गए रतनपुर को नदी की सौगात हासिल नहीं थी। इसलिए भी जल प्रबंधन के लिए रतनपुर हमेशा से तालाबों पर ही निर्भर रहा है। रतनपुर में  असंख्य तालाब और कुएं देखे जा सकते हैं इतने अधिक तालाब और कुएं होने से रतनपुर को कभी भी पानी की कमी से जूझना नहीं पड़ा।

इतिहासकार और पुराने जानकार भी बताते हैं की जिस वक्त आसपास का इलाका अकाल की चपेट में था तब भी रतनपुर के लोगों को कभी भी जल संकट से नहीं गुजरना पड़ा लेकिन आज स्थिति भयावह है ।
चिराग तले अंधेरा 

रतनपुर में लगातार जल संकट बढ़ता जा रहा है। भूगर्भ में मौजूद जल स्तर लगातार नीचे खिसक रहा है। विगत कुछ वर्षों में ही अंडर ग्राउंड वाटर लेवल 40 से 50 फीट नीचे चला गया है इस वजह से जहां कई कुए सूख गए वही सैकड़ों की संख्या में हैंडपंप भी किसी काम के नहीं रह गए हैं। 

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