मादक पदार्थो की तस्करी से निपटने के लिए विधेयक पर डोनाल्ड ट्रंप ने किए हस्ताक्षर

 अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मादक पदार्थो की तस्करी से निपटने के लिए एक विधेयक पर हस्ताक्षर किए हैं;

Update: 2018-01-11 13:00 GMT

वाशिंगटन।  अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मादक पदार्थो की तस्करी से निपटने के लिए एक विधेयक पर हस्ताक्षर किए हैं। इस विधेयक के तहत सीमा शुल्क एवं सीमा सुरक्षा विभाग को 90 लाख डॉलर की अनुदान राशि दी जाएगी, जिससे मेक्सिको और कनाडा के जरिए अमेरिका में मादक पदार्थो की तस्करी से निपटने में मदद मिल सके।

इस पहल का उद्देश्य फेंटानाइल की तस्करी को समाप्त करना है। फेंटानाइल एक सफेद पाउडर है, जो हेरोइन से 30 से 50 गुना अधिक शक्तिशाली होता है और इसका आमतौर पर कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होता है। 

हालांकि, हाल के दिनों में आपराधिक समूह हेरोइन की क्षमता बढ़ाने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं।

समाचार एजेंसी एफे के मुताबिक, ट्रंप ने बुधवार को विधेयक पर हस्ताक्षर करते हुए कहा, "नशीले पदार्थो के तस्कर हमारी डाक प्रणाली का इस्तेमाल कर रहे हैं और हमारे लोगों को मार रहे हैं।" 

ट्रंप ने ओवल ऑफिस में इस विधेयक पर हस्ताक्षर किए। इस दौरान उपराष्ट्रपति माइक पेंस और दोनों पार्टियों के 17 सीनेटर मौजूद थे।

अमेरिकी औषधि प्रवर्तन प्रशासन (डीईए) के मुताबिक, फेंटानाइनल का उत्पादन चीन में होता है लेकिन इसकी खेप मेक्सिको और कनाडा की सीमाओं से होती हुई अमेरिका पहुंचती है, जहां डाक से इसकी बहुत ही छोटी-छोटी मात्राएं भी भेजी जाती हैं, जिन्हें पकड़ पाना बहुत मुश्किल है।

ट्रंप ने कहा कि यह नया बिल फेंटानाइल से निपटने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।  ट्रंप के मुताबिक, यह इतना खतरनाक है कि इससे पुलिस के खोजी कुत्तों तक की मौत हो जाती है।

ट्रंप ने कहा, "यहां तक कि इसकी दरुगध से कुत्तों की भी मौत हो जाती है। कभी किसी ने इससे पहले ऐसी कोई चीज नहीं देखी।"

इस विधेयक के मुताबिक, अमेरिकी सीमा सुरक्षा एवं सीमा सुरक्षा (सीबीपी) को बंदरगाहों पर और डाक सुविधा केंद्रों पर पोर्टेबल रासायनिक स्क्रीनिंग उपकरण लगाने होंगे, जिससे वहां आ रहे सामान की जांच हो सके।

इस विधेयक के तहत इस तरह के उपकरणों और लैब उपकरणों को खरीदने के लिए सीबीपी को 90 लाख डॉलर की राशि दी जाएगी।

यह विधेयक प्रतिनिधि सभा में पारित हो चुका है। इसके पक्ष में 412 वोट पड़े थे जबकि इसके विरोध में सिर्फ तीन वोट पड़े, जिसके बाद सीनेट में भी यह सर्वसम्मति से पारित हो गया।
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