लॉकडाउन में किन्नरों पर डिजिटल चर्चा
पंजाब विश्वविद्यालय से मानवाधिकार पर पीएचडी कर रहे श्री चौहान ने भारतीय ज्ञानपीठ और विश्वरंग द्वारा कल रात लॉकडाउन में आयोजित एक डिजिटल गोष्ठी में यह अपील की है।;
नयी दिल्ली। सहित्य एवं संस्कृति में गहरी दिलचस्पी लेने वाले प्रसिद्ध किन्नर धनंजय चौहान ने देश मे किन्नरों के साथ हो रहे भेदभाव पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए लोगों से उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने एवं सम्मान की जिंदगी जीने देने की अपील की है ।
पंजाब विश्वविद्यालय से मानवाधिकार पर पीएचडी कर रहे श्री चौहान ने भारतीय ज्ञानपीठ और विश्वरंग द्वारा कल रात लॉकडाउन में आयोजित एक डिजिटल गोष्ठी में यह अपील की है।
पंजाब विश्विद्यालय के टॉपर रहे श्री चौहान दो विषयों में एमए हैं और उनके पास संगीत और कंप्यूटर विज्ञान की भी डिग्री है। वह बीए और एमए में टॉपर भी रहे हैं। वे देश विदेश में किन्नर समाज पर व्याख्यान देते रहे हैं और विभिन्न मंत्रालयों की समितियों में भी हैं। वह पंजाब विश्वविद्यालय के पहले किन्नर छात्र रहे हैं।उन पर हाल ही में एक डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म भी बनी है जो कोरोना के कारण इसी 13 जून को यूट्यूब पर रिलीज हुई हैं।
श्री चौहान ने गोष्ठी में अपने जीवन संघर्ष की कथा सुनाई और बताया कि किस तरह उन्हें एक पुरुष और स्त्री के द्वंद्व से गुजरना पड़ा क्योंकि वह जन्म से तो पुरुष थे पर किन्नर होने के कारण उनके भीतर स्त्री की भी भावनाएं व्यक्त होती रही। उन्होंने राष्ट्रनिर्माण में किन्नर समाज की भूमिका पर भी बल दिया।
गोष्ठी में भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक मधुसूदन आनन्द ने श्री चौहान को राष्ट्रीय राजनीति में आने का भी सुझाव दिया और उनके देश के सर्वोच्च पदों पर आसीन होने की कामना भी व्यक्त की।
भारतीय ज्ञानपीठ के पूर्व निदेशक लीलाधर मंडलोई ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि श्री चौहान की संगीत में ही नही बल्कि मीर ग़ालिब और समकालीन कविता में भी गहरी दिलचस्पी है और कल उन्होंने गोष्ठी में भी इसका जिक्र किया।
उन्होंने बताया कि पिछली बार उन्होंने लॉकडाउन में डिजिटल प्रवासी कवि सम्मेलन किया था। वह हर महीने इसी तरह एक डिजिटल कार्यक्रम करेंगे।
फ़िल्म के निर्देशक ओजस्वी शर्मा ने श्री चौहान पर बनी फिल्म के निर्माण की प्रक्रिया पर प्रकाश डाला।