अरावली मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने लिय़ा स्वतः संज्ञान, 29 दिसंबर को होगी सुनवाई
अरावली को लेकर मचे घमासान के बीच सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा कदम उठाया है। पहाड़ियों की नई परिभाषा के विवाद को देखते हुए कोर्ट ने इस मामले का Suo Motu यानी स्वतः संज्ञान लिया है। इस मामले में खुद सीजेआई सूर्यकांत की बेंच सुनवाई करेगी;
अरावली विवाद में सुप्रीम कोर्ट की एंट्री, इस दिन सीजेआई करेंगे सुनवाई
अरावली पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया
सुप्रीम कोर्ट में 29 दिसंबर को सुनवाई
सीजेआई सूर्यकांत की बेंच करेगी सुनवाई
नई दिल्ली : अरावली को लेकर मचे घमासान के बीच सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा कदम उठाया है। पहाड़ियों की नई परिभाषा के विवाद को देखते हुए कोर्ट ने इस मामले का Suo Motu यानी स्वतः संज्ञान लिया है। इस मामले में खुद सीजेआई सूर्यकांत की बेंच सुनवाई करेगी।
इसका मतलब है कि कोर्ट ने बिना किसी की शिकायत का इंतज़ार किए खुद इस मुद्दे पर सुनवाई करने का फैसला किया है। सोमवार 29 दिसंबर को सीजेआई सूर्यकांत, जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस ए.जी. मसीह की बेंच इस पर सुनवाई करेगी.दरअसल ये पूरा मामला अरावली की परिभाषा को लेकर गरमाया हुआ है।
आइए एक बार समझते हैं कि ये मामला क्या है -
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण मंत्रालय की रिपोर्ट को हरी झंडी दी थी, जिसमें कहा गया कि केवल 100 मीटर या उससे ऊंची चोटियों को ही अरावली पहाड़ी माना जाएगा।
इस परिभाषा पर पर्यावरणविदों का कहना कहना है कि
- अरावली का मात्र 8.7% हिस्सा ही 100 मीटर से ऊंचा है।
-अगर यह परिभाषा लागू हुई, तो 90% से ज्यादा अरावली असुरक्षित हो जाएगी।
-बिल्डर्स और माइनिंग माफिया को खुली छूट मिल जाएगी, जिससे दिल्ली-NCR का ईकोसिस्टम पूरी तरह तबाह हो सकता है।
विपक्ष और पर्यावरण एक्टिविस्ट इसे सरकार की 'अरावली पहाड़ियों को बेचने की साजिश' बता रहे हैं, जैसा आप जानते हैं कि अरावली सिर्फ पहाड़ नहीं, बल्कि रेगिस्तान को दिल्ली एनसीआर की तरफ बढ़ने से रोकने वाली एक दीवार है। अगर यह दीवार ढही, तो प्रदूषण और गर्मी का संकट और गहरा जाएगा..
अब इन सब के बीच सभी की निगाहें सोमवार को होने वाली सुनवाई पर टिकी हैं। अब कोर्ट पुरानी परिभाषा पर ही कायम रहेगा या पर्यावरण की रक्षा के लिए कोई नया फॉर्मूला निकालेगा? ये कल की सुनवाई में पता चलेगा।