दिल्ली हाईकोर्ट ने जज के खिलाफ मौत की सजा की मांग करने वाले वादी को जारी किया अवमानना नोटिस
दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक वादी को आपराधिक अवमानना के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है;
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक वादी को आपराधिक अवमानना के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है, जिसने अदालत के एक न्यायाधीश, सरकारी अधिकारियों और सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ मनमाने और आपत्तिजनक आरोप लगाए है।
वादी नरेश शर्मा ने एकल न्यायाधीश से उसकी याचिका खारिज करने के लिए मौत की सजा की मांग की थी।
20 जुलाई को पारित एकल न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देने वाली शर्मा की अपील पर मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की खंडपीठ ने सुनवाई की।
एकल न्यायाधीश के समक्ष अपनी दलील में शर्मा ने आरोप लगाया कि आईआईटी, एम्स और आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों सहित कई सरकारी संगठन "आपराधिक" हैं और इन सब पर देशद्रोह का आरोप लगाया।
उसने तर्क दिया कि ऐसे संगठनों के लिए सरकार की अवज्ञा करने और इसके खिलाफ एकजुट होने का कानूनी विकल्प होना चाहिए।
शर्मा ने आगे तर्क दिया कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उनके मौलिक अधिकार, जिसमें आपराधिक रूप से स्थापित नहीं किए गए, सार्वजनिक संगठन रखने का अधिकार शामिल है, का उल्लंघन किया जा रहा है।
शर्मा ने अपनी अपील में मांग की कि एकल न्यायाधीश पर "अर्थहीन, अपमानजनक, आपराधिक, देशद्रोही निर्णय" जारी करने के लिए "आपराधिक आरोप" लगाया जाए। उसने अपनी प्रार्थना में मृत्युदंड की भी मांग की।
खंडपीठ ने माना कि ये आरोप अदालत के अधिकार को बदनाम करने और प्रतिष्ठा को कम करने के उद्देश्य से लगाया गया और कहा कि आरोप "न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप करने के दुर्भावनापूर्ण इरादे" से लगाए गए।
इसके बाद पीठ ने शर्मा को कारण बताओ नोटिस जारी किया और उससे यह बताने को कहा कि अदालत की अवमानना अधिनियम, 1971 के तहत उसके खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए।
शर्मा को सुनवाई की अगली तारीख 18 सितंबर तक कारण बताओ नोटिस का जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।