डीसीसीबी को आरबीआई में पुराने नोट जमा करने की इजाजत दे दी

सरकार ने मंगलवार को आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) को जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) द्वारा नोटबंदी के तुरंत बाद जमा हुए पुराने नोटों को स्वीकार करने की इजाजत दे दी है;

Update: 2017-06-22 01:04 GMT

नई दिल्ली। सरकार ने मंगलवार को आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) को जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) द्वारा नोटबंदी के तुरंत बाद जमा हुए पुराने नोटों को स्वीकार करने की इजाजत दे दी है, जिसकी मांग भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सहयोगी शिवसेना लंबे समय से कर रही थी। जिस दिन सरकार ने यह अधिसूचना जारी की, उसी दिन शिवसेना ने यू-टर्न लेते हुए राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को समर्थन देने की घोषणा कर दी। जबकि एक दिन पहले शिवसेना इस उम्मीदवारी जाति के आधार पर तुष्टिकरण करार दे रही थी।

महाराष्ट्र के मंत्री शिवसेना के दिवाकर राउते ने पिछले हफ्ते मांग की थी कि डीसीसीबी में 2,770 करोड़ रुपये से अधिक की रकम बेकार पड़ी है, क्योंकि उसे आरबीआई स्वीकार नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा कि इन नोटों को स्वीकार करने से जिला स्तरीय बैंकों को राज्य में संकट में फंसे किसानों को नए ऋण देने में सक्षम बनाएगी। 

महाराष्ट्र के जिला सहकारी बैंकों के पास साल 2017 के 18 मार्च तक 2,771.86 करोड़ रुपये की रकम पुराने नोट के रूप में थी, जबकि साल 2016 के 14 नवंबर को यह आंकड़ा 5,458.59 करोड़ रुपये का था। सरकार ने साल 2016 में 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा की थी। 

वहीं, मंगलवार को पूर्व वित्तमंत्री पी. चिंदबरम ने कहा कि डीसीसीबी को पुराने नोट जमा कराने की अनुमति देने का फैसला शिवसेना द्वारा कोविंद को समर्थन करने से जुड़ा है, जो पहले बिहार के राज्यपाल थे।

इस अधिसूचना में बैंकों और डाकघरों को साल 2016 के 30 दिसंबर तक के जमा हुए पुराने नोटों को आरबीआई में जमा कराने की अनुमति दी गई है। 

सोमवार को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कोविंद को उम्मीदवार बनाने की आलोचना करते हुए कहा था कि उनके दलित मूल के कारण दलित जाति को खुश करने के लिए उन्हें उम्मीदवार बनाया गया है, लेकिन मंगलवार को उन्होंने यूटर्न ले लिया। 

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