देश सर्वसम्मति से चलता है लेकिन देश सर्वसम्मति से चलता है: पीएम मोदी

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सामाजिक जीवन में एक नेता को कैसा होना चाहिए, भारत के लोकतंत्र और मूल्यों को कैसे जीना चाहिए, दीनदयाल उपाध्याय जी इसके बहुत बड़ा उदाहरण हैं;

Update: 2021-02-11 14:40 GMT

नई दिल्ली।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सामाजिक जीवन में एक नेता को कैसा होना चाहिए, भारत के लोकतंत्र और मूल्यों को कैसे जीना चाहिए, दीनदयाल उपाध्याय जी इसके बहुत बड़ा उदाहरण हैं। 

Today, India is witnessing defence corridors being made, Made in India weapons and fighter jets like Tejas.

- PM Shri @narendramodi #SamarpanDiwas pic.twitter.com/ySWyzV71gx

— BJP (@BJP4India) February 11, 2021

यहां अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में गुरुवार को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि पर आयोजित समर्पण दिवस पर सांसदों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, आप सबने दीनदयाल जी को पढ़ा भी है और उन्हीं के आदर्शों से अपने जीवन को गढ़ा भी है। इसलिए आप सब उनके विचारों से और उनके समर्पण से भलीभांति परिचित हैं।

लोकल इकॉनमी पर विजन इस बात का प्रमाण है कि उस दौर में भी उनकी सोच कितनी practical और व्यापक थी।

आज ‘वोकल फॉर लोकल’ के मंत्र से देश इसी विजन को साकार कर रहा है।

- पीएम @narendramodi #SamarpanDiwas pic.twitter.com/unBemljHFN

— BJP (@BJP4India) February 11, 2021

आज आत्मनिर्भर भारत अभियान देश के गांव-गरीब, किसान, मजदूर और मध्यम वर्ग के भविष्य निर्माण का माध्यम बन रहा है।

- पीएम @narendramodi #SamarpanDiwas pic.twitter.com/FTDWVW6GIU

— BJP (@BJP4India) February 11, 2021

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, मेरा अनुभव है और आपने भी महसूस किया होगा कि हम जैसे जैसे पंडित दीनदयाल के बारे में सोचते हैं, बोलते हैं, सुनते हैं, उनके विचारों में हमें हर बार एक नवीनता का अनुभव होता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि एकात्म मानव दर्शन का उनका विचार मानव मात्र के लिए था। इसलिए, जहां भी मानवता की सेवा का प्रश्न होगा, मानवता के कल्याण की बात होगी, दीनदयाल जी का एकात्म मानव दर्शन प्रासंगिक रहेगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि एक ओर वो भारतीय राजनीति में एक नए विचार को लेकर आगे बढ़ रहे थे, वहीं दूसरी ओर, वो हर एक पार्टी, हर एक विचारधारा के नेताओं के साथ भी उतने ही सहज रहते थे। हर किसी से उनके आत्मीय संबंध थे।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, दीनदयाल उपाध्याय भी यही कहते थे। उन्होंने लिखा था- 'एक सबल राष्ट्र ही विश्व को योगदान दे सकता है।' यही संकल्प आज आत्मनिर्भर भारत की मूल अवधारणा है। इसी आदर्श को लेकर ही देश आत्मनिर्भरता के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है।

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