अवमानना मामला: दोषी अधिकारियों पर 10 हज़ार का जुर्माना

 मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने दो कर्मचारियों को क्रमोन्नति का लाभ देने संबंधी पिछले आदेश का पालन होेने पर अवमानना मामले का पटाक्षेप कर दिया।;

Update: 2018-03-21 11:38 GMT

जबलपुर। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने दो कर्मचारियों को क्रमोन्नति का लाभ देने संबंधी पिछले आदेश का पालन होेने पर अवमानना मामले का पटाक्षेप कर दिया।

न्यायाधीश जे के माहेश्वरी की एकलपीठ ने सभी अवमाननाकर्ता अधिकारियों पर 10 हजार का जुर्माना लगाया है, जो उन्हें अपनी जेब से भरना होगा। उक्त रकम याचिकाकर्ताओं को देने के निर्देश भी न्यायालय ने दिये हैं।

मामले में अवमानना के दोषी पाये गये जल संसाधन विभाग के पूर्व पी एस आर एस जुलानिया आखिरकार उपस्थित नहीं हुए, हालांकि विस्तृत आदेश की फिलहाल प्रतीक्षा है।

अवमानना का यह मामला बालाघाट के लांजी निवासी खेलेश्वर भार्गव और धीरज दास भारद्वाज की ओर से वर्ष 2015 में दायर किया गया था। जिसमें कहा गया था कि उन्हें क्रमोन्नति का लाभ देने के आदेश उच्च न्यायालय ने 15 जुलाई 2015 को दिए थे।

उक्त आदेश की सत्य प्रतिलिपि 27 जुलाई 2015 को अनावेदकों को दे दी गई थी। इसके बाद भी कोई कार्रवाई न होने पर यह अवमानना याचिका वर्ष 2015 में ही दायर की गई थी। इस अवमानना मामले पर 11 दिसंबर 2015 को अनावेदकों को नोटिस जारी हुए थे।

नोटिस तामील होने के बाद भी न तो अनावेदकों के जवाब आए और न ही उनके पैरोकार। जनवरी 2016 को एक्जीक्यूटिव इंजीनियर ने आदेश का पालन करने छ: सप्ताह का अतिरिक्त समय मांगा और वह भी बीत गया, इसके बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद हुई सुनवाई के दौरान भी अनावेदक हाजिर नहीं हुए। न्यायालय द्वारा 17 जनवरी 2018 को दिए निर्देश पर इंजीनियर इन चीफ राजीव कुमार सुकालीकर कोर्ट में हाजिर तो हुए, लेकिन उन्होंने समय बढ़ाने कोई भी अर्जी दायर नहीं की।

हालांकि सुनवाई के दौरान उनकी ओर से 8 फरवरी 2018 को जारी एक नोटशीट देकर अदालत को बताया गया कि 15 जुलाई 2015 के आदेश का पालन करने सरकार से आग्रह किया गया है। जिस पर विगत 12 फरवरी को न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि मामले में 22 माह का समय बीत जाने के बाद भी जानबूझकर कोर्ट के आदेश का पालन न करने पर सभी अनावेदक अवमानना के दोषी पाए जाते हैं।

मामले पर विगत 5 मार्च, 19 मार्च और मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान आरएस जुलानिया हाजिर नहीं हुए। उनको छोड़कर शेष सभी अधिकारी हाजिर हुए। न्यायालय ने सभी आरोपियों पर दस हजार का जुर्माना लगाते हुए अवमानना मामले का निराकरण कर दिया, क्योंकि कोर्ट के 27 जुलाई 2015 के आदेश का अनावेदकों ने पालन कर लिया है, हालांकि विस्तृत आदेश की फिलहाल प्रतीक्षा है।

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