दलितों के साथ दया भाव जैसा रवैया अपना रही है कांग्रेस: अमित शाह

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष अमित शाह ने आज कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को तथ्यों को जांचने की सलाह दी और कांग्रेस पार्टी पर दलितों के साथ दयाभाव व उन्हें कमतर दिखाने जैसा व्यवहार करने का आरोप;

Update: 2018-08-09 18:12 GMT

नई दिल्ली।  भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष अमित शाह ने आज कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को तथ्यों को जांचने की सलाह दी और कांग्रेस पार्टी पर दलितों के साथ दयाभाव व उन्हें कमतर दिखाने जैसा व्यवहार करने का आरोप लगाया।

अमित शाह ने अपने श्रृखंलाबद्ध ट्वीट में कहा, "राहुलजी, जब आप को आंख मारने व संसद को बाधित करने से फुर्सत मिले तो तथ्य जांच लें। राजग सरकार ने अपने कैबिनेट फैसले व संसद के जरिए अधिनियम में संशोधन कर इसे मजबूत किया है। फिर आप इसका विरोध क्यों कर रहे हैं।"

Mr. Rahul Gandhi, expecting research and honesty is difficult from you but do read Mr. Rajiv Gandhi’s speech during Mandal, when he opposed it tooth & nail. The sense of entitlement and hatred for backward communities comes out so clearly. And today you talk about Dalit welfare!

— Amit Shah (@AmitShah) August 9, 2018


 

Would have been good if Congress President would have spoken about his Party’s treatment towards Dr. Babasaheb Ambedkar, Babu Jagjivan Ram and Sitaram Kesari. 

Congress way of treating Dalits is patronising and condescending. For years Congress insulted Dalit aspirations.

— Amit Shah (@AmitShah) August 9, 2018


 

भाजपा अध्यक्ष की यह टिप्पणी राहुल गांधी के सरकार पर 'दलित विरोधी मानसिकता' की टिप्पणी के तुरंत बाद आई है।

राहुल गांधी ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वंचितों के खिलाफ अत्याचार रोकने वाले अधिनियम को कमजोर करने वाले न्यायाधीश के पुनर्नियोजन्से सरकार की दलित विरोधी मानसिकता जाहिर हुई है।

राहुल गांधी ने यह भी कहा कि भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार के दिल में दलितों के लिए कोई जगह नहीं है।

अमित शाह ने कहा, "अच्छा होता अगर कांग्रेस अध्यक्ष अपनी पार्टी द्वारा डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर, बाबू जगजीवन राम व सीताराम केसरी के साथ किए गए व्यवहार के बारे में बोलते। कांग्रेस का दलितों के साथ व्यवहार का तरीका दयाभाव जैसा और उन्हें कमतर दिखाने वाला रहा है। सालों से कांग्रेस ने दलित आकांक्षाओं का अपमान किया है।"

सर्वोच्च न्यायालय ने 20 मार्च के अपने आदेश में एससी/एसटी अधिनियम के तहत मामला दर्ज करने से पहले कड़े सुरक्षा उपाय निर्धारित किए थे। इसमें प्रारंभिक जांच व अग्रिम जमानत के प्रावधान शामिल थे। अदालत ने ऐसा आदेश व्यक्तिगत व राजनीतिक कारणों से अधिनियम के दुरुपयोग के उदाहरणों का हवाला देते हुए दिया था।

इस आदेश से दलित नाराज हुए थे। सर्वोच्च न्यायालय से न्यायमूर्ति गोयल 6 जुलाई को सेवानिवृत्त हुए। इसी दिन उन्हें एनजीटी का चेयरमैन नियुक्त कर दिया गया।

सरकार ने 1989 के अधिनियम में संशोधन किया है, जिसने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को पलट दिया और आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी के प्रावधान को बहाल कर दिया।

इस संशोधन को लोकसभा ने सोमवार को पारित कर दिया।

राज्यसभा सांसद शाह ने यह भी कहा, "क्या यह एक संयोग है कि जिस साल सोनिया गांधी कांग्रेस में शामिल हुईं, उसी साल तीसरे मोर्चे-कांग्रेस सरकार ने पदोन्नति में आरक्षण का विरोध किया और जिस साल राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बने, वे एक मजबूत एससी/एसटी अधिनियम व ओबीसी आयोग का विरोध करते हैं! पिछड़ा विरोधी मानसिकता दिख रही है।"

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