सहकारिता, जन आन्दोलन का व्यावहारिक स्वरूप गुजरात की देन : देवव्रत

गुजरात कें राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने शनिवार को कहा कि सहकारिता एक जन आन्दोलन है;

Update: 2024-09-22 07:21 GMT

अमरेली। गुजरात कें राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने शनिवार को कहा कि सहकारिता एक जन आन्दोलन है, उसका व्यावहारिक स्वरूप गुजरात की देन है।

श्री देवव्रत ने अमूल- दि टेस्ट ऑफ इंडिया का उदाहरण देते हुए डेयरी और पशुपालन क्षेत्र में उपलब्ध अवसरों का परिचय दिया। अमरेली में आज आयोजित जिले की विभिन्न 16 सहकारी संस्थाओं की वार्षिक साधारण सभा कार्यक्रम में वह विशेष तौर पर उपस्थित रहे।

कार्यक्रम के आरम्भ में राज्यपाल, राजकोट के सांसद पुरुषोत्तम भाई रुपाला, अमरेली के सांसद भरतभाई सुतरिया, इफ्को के चेयरमेन और पूर्व मंत्री दिलीपभाई संघाणी, उप मुख्य सचेतक कौशिकभाई वेकरिया, विधायक जे.वी. काकड़िया, जनकभाई तलाविया, सहकारिता अग्रणियों ने दीप प्रज्वलित किया।

राज्यपाल ने इस अवसर पर कहा कि पशुधन प्रजाति के संवर्धन के लिए वैज्ञानिक पद्धति अपनाकर उसके लिए प्रयास हों, यह आवश्यक है। कम खर्च में बेहतर पशुपालन हो, इसके लिए भारतीय देसी पशु प्रजाति के सेक्स सॉर्टेड सीमन सिर्फ 50 रुपए में मिल जाएंगे जो पशुपालन क्षेत्र में क्रांति ला सकते हैं। समग्र भारत में पशु प्रजाति सुधार भी एक मिशन के रूप में आगे बढ़े, यह जरूरी है। भारत सरकार द्वारा सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की गई है, जिसके द्वारा भारत में सहकारिता क्षेत्र का विकास चल रहा है।

उन्होंने देसी गाय आधारित प्राकृतिक कृषि पर कहा कि प्राकृतिक कृषि आज के समय की मुख्य मांग और आवश्यकता है। रासायनिक खाद, कीटनाशक दवाओं और पेस्टीसाइट्स के अत्यधिक उपयोग के कारण जमीन में सूक्ष्म जीवाणु नष्ट हुए हैं और जमीन की उत्पादकता में कमी आयी है। जमीन की उर्वरता में बढ़ोतरी हो, धरती की सतह में बरसाती पानी उतरे और जमीन की गुणवत्ता में सुधार हो, इसके लिए प्राकृतिक कृषि अपनाना अनिवार्य है। देसी केंचुए प्राकृतिक कृषि के लिए मित्र कीट हैं, इसका उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि नेचुरल वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को सक्रिय करने और जमीन में उपलब्ध पोषक तत्वों के लिए यह केंचुए उपयोगी होते हैं।

सोने जैसी धरती के निर्माण के लिए प्राकृतिक कृषि महत्वपूर्ण है। प्राकृतिक कृषि की आवश्यकताएं समझते हुए गुजरात सरकार ने हालोल में प्राकृतिक कृषि विज्ञान युनिवर्सिटी शुरु की है। इसका प्रथम कॉलेज अमरेली में शुरु होने पर राज्यपाल ने अग्रणियों और नागरिकों को शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम में उपस्थित सभी महानुभावों से उन्होंने देसी गाय आधारित प्राकृतिक कृषि अपनाने का आह्वान करते हुए कहा कि हमको वर्तमान और भविष्य की पीढ़ी के लिए गौ-पालन और गौ आधारित प्राकृतिक कृषि की ओर तेज गति से आगे बढ़ना होगा।

सहकारी संस्थाओं की वार्षिक साधारण सभा कार्यक्रम से से पहले राज्यपाल को गार्ड ऑफर दिया गया। राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत ने यहां वृक्षारोपण भी किया। उन्होंने सहकारिता को समर्पित अनुभवी 101 वर्षीय नारणभाई शामजीभाई भंडेरी और हरिभाई कालाभाई सांगाणी को सम्मानित किया। वार्षिक स्तर पर सबसे ज्यादा दूध भरने वाली पशुपालक महिलाओं को भी उन्होंने प्रमाण पत्र अर्पण कर सम्मानित किया।

नेशनल कॉ-ऑपरेटिव युनियन ऑफ इंडिया, इफ्को, गुजकोमासोल और अमरेली जिला मध्यस्थ सहकारिता बैंक के चेयरमेन श्री दिलीपभाई संघाणी ने इस अवसर पर कहा कि सहकारित क्षेत्र के विकास से रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी होती है। साथ ही, 'सहकारिता से समृद्धि' के उम्दा विचार को बल मिलता है। पशुपालन द्वारा सहकारिता क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है। पशुपालन क्षेत्र में होने वाले परिवर्तन श्वेतक्रांति के लिए नये द्वार खोलेंगे और भविष्य में इसके उज्जवल परिणाम हासिल होंगे। कुपोषण उन्मूलन के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्रभाई मोदी ने पोषण अभियान चलाया है और इस अभियान को सार्थक करने में दूध संजीवनी साबित होगा।

पूर्व केन्द्रीय मंत्री और राजकोट के सांसद पुरुषोत्तम भाई रूपाला ने कहा कि अमरेली में आईवीएफ लेबोरेटरी की स्थापना से आधुनिक पशु प्रजाति सुधारों में लाभ मिलेगा। सहकारिता प्रवृत्तियों के विकास के लिए युवाओं को जोड़ने का अभिगम है। साथ मिलकर कार्य करना ही सहकारिता का आधार है। सहकारी संस्थाओं और पशुपालकों के सहयोग से पशुपालन क्षेत्र के विकास द्वारा ग्राम्य क्षेत्रों में आर्थिक समृद्धि, प्रगति और क्रांति लायी जा सकती है। तमाम सहकारी मंडलियां ग्रामीण स्तर पर आर्थिक गतिविधियों का केन्द्र बनें, इसके लिए सभी को मिलकर कार्य करना होगा।

सांसद भरतभाई सुतरिया, उप मुख्य सचेतक कौशिकभाई वेकरिया ने भी अपने विचार व्यक्त किये। विभिन्न सहकारिता संस्थाओं की वार्षिक साधारण सभा में उपस्थित सभी का शाब्दिक स्वागत अमरेली मध्यस्थ सहकारिता बैंक के वाइस चेयरमेन अरूण पटेल ने किया। आभार विधि मुकेशभाई संघाणी ने की। बालिकाओं ने प्राकृतिक कृषि का महत्व दर्शाती सांस्कृति प्रस्तुति 'धरती कहे पुकार के' दी, जिसे सभी महानुभावों ने तालियों की गड़गड़ाहट से सराहा।

इस अवसर पर जिला कलक्टर अजय दहिया, जिला विकास अधिकारी परिमल पंड्या, जिला पुलिस अधीक्षक हिमकर सिंह, पूर्व विधायक अम्बरीश भाई डेर, नलिनभाई कोटडिया, कालुभाई विराणी, सहकारिता अग्रणी, विभिन्न सहकारिता मंडलियों के अग्रणी, पदाधिकारी, अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे।

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