जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा ने वैश्विक नेताओं से कहा वह उन्हें, 'कभी माफ नहीं करेंगी'

ग्रेटा और 15 अन्य बच्चों ने बाद में जलवायु संकट पर पांच देशों के खिलाफ एक शिकायत दर्ज की।;

Update: 2019-09-24 11:11 GMT

न्यूयॉर्क । जलवायु परिवर्तन के खिलाफ परिवर्तनकारी कार्रवाई की मांग को लेकर दुनियाभर में 40 लाख से ज्यादा लोगों के हड़ताल पर जाने के बाद स्वीडन की 16 वर्षीय पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने वैश्विक नेताओं को चेतावनी दी है। न्यूयॉर्क में सोमवार को संयुक्त राष्ट्र क्लाइमेट एक्शन समिट में एक भावुक भाषण देते हुए उन्होंने कहा कि अगर वैश्विक नेताओं ने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ उचित कदम नहीं उठाए तो तो वे उन्हें माफ नहीं करेंगी।

ग्रेटा और 15 अन्य बच्चों ने बाद में जलवायु संकट पर पांच देशों के खिलाफ एक शिकायत दर्ज की।

अपने भावुक भाषण में वैश्विक नेताओं पर क्लाइमेट एक्शन पर कार्रवाई ना करके अपनी पीढ़ी को धोखा देने का आरोप लगाते हुए थनबर्ग ने कहा, "हम आपको ऐसा करके बच निकलने नहीं देंगे।"

उन्होंने कहा, "और अगर आपने उचित कदम न उठाकर हमें धोखा दिया तो मैं कहती हूं कि हम आपको कभी माफ नहीं करेंगे।"

उन्होंने कहा, "यहीं और इसी वक्त हम एक लाइन बनाते हैं। दुनिया जाग रही है। और बदलाव आ रहा है। चाहे आप इसे पसंद करें या नहीं।"

अपने भाषण के तुरंत बाद उन्होंने 15 अन्य बच्चों के साथ बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कमेटी में युवाओं पर जलवायु संकट के प्रभाव से संबंधित एक आधिकारिक शिकायत दर्ज की।

सरकारों से इस उम्मीद से संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में भाषण न देकर योजनाएं लाने के लिए कहा गया, जिससे कि देशों के लिए पेरिस समझौते के अंतर्गत अपनी जलवायु प्रतिबद्धताओं के उन्नयन के लिए तय की गई अगले वर्ष की समयसीमा से पहले जलवायु से संबंधित भू-राजनीतिक स्थिति का पुन: नियोजन किया जा सके।

राष्ट्र प्रमुखों की तरफ से कोई ठोस नई प्रतिबद्धताएं व्यक्त नहीं की गईं, कुछ भाषण खोखले थे, हालांकि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ कदम के कुछ ऐसे उदाहरण भी पेश किए गए जिन्हें अगर प्रभावी रूप से लागू किया जाए तो इनसे इस गंभीर स्थिति का हल निकाला जा सकता है।

जब जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाषण दिया, उस दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कुछ देर के लिए आए।

चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा, "कुछ पक्षों के अलग हटने से अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की सामूहिक इच्छा पर प्रभाव नहीं पड़ेगा।"

उनका यह बयान अमेरिका के लिए माना जा रहा है, जिसने पेरिस समझौते से निकलने की इच्छा जताई है।

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