डेंगू की रोकथाम में नागरिकों का सहयोग आवश्यक : मधुप

डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों के उपचार उपलब्ध नहीं होने के चलते रोकथाम ही इसका इलाज है;

Update: 2018-05-02 13:45 GMT

नई दिल्ली। डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों के उपचार उपलब्ध नहीं होने के चलते रोकथाम ही इसका इलाज है। लिहाजा मच्छरों को पनपने से रोक कर ही इन जानलेवा बीमारियों पर काबू पाया जा सकता है।

इसलिए डेंगू की रोकथाम के लिए घरों-परिसरों व कार्य स्थलों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। उक्त बातें उत्तरी दिल्ली नगर निगम के आयुक्त मधुप व्यास ने मंगलवार को कहीं। उन्होंने कहा कि इन बीमारियों के लिए एडीज मच्छर जिम्मेदार होता है जिसका जीवनचक्र 7 दिन के लगभग होता है। अगर हम सप्ताह में एक दिन भी नियमित रूप से कूलर पोंछ कर साफ  कर लें तो मच्छर पनपेंगे ही नहीं। 

अतएव, डेंगू की रोकथाम में नागरिकों का सहयोग आवश्यक है। मधुप व्यास ने सभी सरकारी एवं स्थानीय संस्थानों के कार्यालयों, शैक्षिक संस्थानों, राज्य सरकार के कार्यालयों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, मार्केट एसोसियेशनों तथा नागरिकों से डेंगू की रोकथाम के लिए दिल्ली में मच्छरों के प्रजनन को रोकने के उपाय करने की अपील भी की। निगमायुक्त ने सभी बड़े संस्थानों एवं परिसरों को सलाह दी है कि वे अपने यहां मच्छरों के लार्वा के निरीक्षण के लिये नोडल अधिकारी नियुक्त करें जो मच्छर रोधी उपायों की जानकारी के रूप में जगह का नाम, दिनांक और समय का पूर्ण ब्यौरा एक रजिस्टर में दर्ज करे।

विभागाध्यक्ष, इस रजिस्टर को हर माह जांच करें। हालांकि ए डेंगू के लिए उत्तरदायी मच्छर सम्भवत: साफ पानी में एक निश्चित तापमान में उत्पन्न होता है। जिसके लिए निगम के डोमेस्टिक ब्रिडिंग चैकर घर-घर जाकर मच्छरों की उत्पति की जांच कर रहे हैं लेकिन मच्छर प्रजनन विरोधी कार्यक्रम में नागरिकों का सहयोग अत्यन्त महत्वपूर्ण है। मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए नागरिकों से निम्नलिखित सहयोग अपेक्षित है।

सभी कूलरों को सप्ताह में एक बार पोंछ कर अवश्य साफ किया जाए और दोबारा भरने से पहले सुखा लिया जाए। जिन कूलरों को साफ नहीं किया जा सकता उनमें पेट्रोल-कैरोसिन डाले। टेमिफास ग्रेन्यूल्ज प्राप्त करने के लिए सरकारी कार्यालयों के नोडल अधिकारी निगम के क्षेत्रीय उप-स्वास्थ्य अधिकारियों से सम्पर्क कर सकते हैं। छत पर तथा अन्य स्थानों पर पानी की टंकियों को ढक कर रखे। अपने कार्यालयों में व आस-पास पानी जमा न होने दें। खाली व बेकार टूटी बोतलें, कप, गमले तथा टायर खुले में न छोड़ें।

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