कावेरी मुद्दा : तमिलनाडु की पार्टियों ने केंद्र पर किया प्रहार
तमिलनाडु में विपक्षी दल और किसान संगठन केंद्र सरकार के उस कदम पर गुस्से में भड़क उठे हैं;
चेन्नई/नई दिल्ली। तमिलनाडु में विपक्षी दल और किसान संगठन केंद्र सरकार के उस कदम पर गुस्से में भड़क उठे हैं, जिसमें सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय से स्पष्टीकरण मांगा है कि क्या कावेरी प्रबंधन बोर्ड के गठन का निर्देश दिया गया गया, क्योंकि इसकी समय सीमा गुरुवार को समाप्त हो चुकी है। उन्होंने तमिलनाडु सरकार पर अदालत के आदेश को लागू करने के लिए केंद्र पर दबाव डालने में 'असमर्थता' को लेकर हमला बोला, क्योंकि यह दिल्ली की सरकार से 'डर' रही थी और इसका विरोध करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई थी।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी ने गुरुवार को नदी जल साझा करने के मुद्दे पर कार्रवाई के अगले चरण पर चर्चा करने के लिए एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। सचिवालय में हुई इस बैठक में उपमुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम और अन्य वरिष्ठ मंत्रियों ने भाग लिया।
बाद में, पलानीस्वामी ने सत्तारूढ़ एआईएडीएमके के कुछ सांसदों के साथ अलग से एक और बैठक की, जिन्होंने सांसदों ने कहा कि पार्टी हाईकमान द्वारा निर्देश दिए जाने पर इस्तीफा देने के लिए तैयार थे।
सूत्रों ने कहा कि राज्य 16 फरवरी के आदेश को लागू नहीं करने को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में एक अवमानना याचिका दाखिल करने पर विचार कर रहा है, जिसमें छह सप्ताह के अंदर बोर्ड के गठन का निर्देश दिया गया था, जिसकी अवधि गुरुवार को समाप्त हो गई।
कर्नाटक ने बोर्ड के निर्माण का विरोध किया था और आने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर यह मुद्दा संवेदनशील हो गया है। केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली सरकार ने इस फैसले पर स्पष्टीकरण मांगने के लिए सर्वोच्च न्यायालय जाने पर विचार कर रही है।
कर्नाटक और केंद्र सरकार का मानना है कि सर्वोच्च न्यायालय ने बोर्ड के गठन का निर्देश नहीं दिया था और केवल एक 'योजना' के बारे में बात की थी, जिसका निर्णय कावेरी जल ट्रिब्यूनल पर छोड़ दिया था। यह तमिलनाडु की मांग के बिल्कुल खिलाफ स्थिति है।
द्रमुक नेता और पूर्व लोक निर्माण मंत्री दुरईमुरुगन ने कहा कि दोनों पलानीस्वामी और पनीरसेल्वम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलना चाहिए और उन्हें सीएमबी और सीडब्ल्यूआरसी की स्थापना के लिए कहना चाहिए।
उन्होंने कहा, "अन्नाद्रमुक दिल्ली में मोदी के कार्यालय के बाहर एक विरोध प्रदर्शन कर सकती है। अगर हम सिर्फ प्रस्तावों को पारित करते हैं तो पर्याप्त नहीं है। हमें केंद्र सरकार पर दबाव डालना होगा।"
उन्होंने सवाल किया कि मुख्यमंत्री ने आखिरकार जिन दिन अंतिम तिथि थी, उसी दिन उच्चस्तरीय बैठक क्यों बुलाई, साथ ही 'स्कीम' शब्द पर स्पष्टीकरण पाने के लिए केंद्र सरकार ने भी उसी दिन क्यों कार्रवाई की।
पीएमके के संस्थापक एस. रामदास ने भी सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन न करने के लिए केंद्र सरकार को को फटकारते हुए कहा कि तमिलनाडु लोग राज्य के हितों के साथ विश्वासघात करने के लिए उसे माफ नहीं करेंगे।
उन्होंने एक बयान में कहा, "केंद्र सरकार को सर्वोच्च न्यायालय में स्पष्टीकरण याचिका दायर करने के बजाय सीएमबी और सीडब्ल्यूआरसी की स्थापना करनी चाहिए, क्योंकि आज की रात अंतिम समय सीमा समाप्त हो रही है।"
वीसीके प्रमुख थोल थिरुमावलवन, मुथारसान (सीपीआई-एम) और सामाजिक कार्यकर्ता पी. नेदुमारन सहित कई अन्य नेताओं ने अपनी भावनाओं को जाहिर करते हुए कहा कि केंद्र के 'पक्षपातपूर्ण' रवैये से तमिलनाडु में 'विद्रोह में बढ़ोतरी' का खतरा है।
अभिनेता रजनीकांत ने कहा कि सीएमबी और सीडब्ल्यूआरसी की स्थापना से कावेरी मुद्दे को सुलझाने में मदद मिलेगी और आशा है कि "न्याय की जीत होगी।"
सिनेमा क्षेत्र में उनके सहयोगी और अब एक राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी कमल हासन ने कहा कि "केवल बोर्ड का गठन ही एकमात्र तरीका था।"