एक मई से रेलवे में 'कैश सेफ' प्रथा होगी बंद

दक्षिण पूर्व रेलवे के रेल मंडल एक मई से बिलासपुर सदियों पुरानी केश सेफ प्रथा को बंद करने जा रहा है;

Update: 2018-04-23 13:10 GMT

बिलासपुर। दक्षिण पूर्व रेलवे के रेल मंडल एक मई से बिलासपुर सदियों पुरानी केश सेफ प्रथा को बंद करने जा रहा है। ट्रेनों का परिचालन प्रभावित होने के कारण यह निर्णय लिया गया है। 

रेलवे का तर्क है कि नई व्यवस्था लागू होने से ट्रेनों की समयबद्धता प्रभावित नहीं होगी। कैश सेफ लोहे की एक तिजोरी है जिसमें मंडल के सभी स्टेशनों की आय के वितरण को चमड़ों के थैले में भरकर बिलासपुर स्थित रोकड़ कार्यालय भेजा जाता है। इसे ब्रेकयान में चढ़ाने और उतारने के लिए सभी स्टेशनों में 44 कर्मचारियों और स्टेशन से रोकड़ कार्यालय ले जाने के लिए ट्राली की भी आवश्यकता होती है।

रेलवे का कहना है कि इस व्यवस्था से ट्रेनों की समयबद्धता भी प्रभावित होती है। वर्तमान में मंडल के सभी स्टेशनों की आय सीधे बैंकों में जमा की जा रही है और क्रेडिट नोट व टीआर नोट को कैश सेफ के माध्यम से गार्ड के डिब्बे में लाया जाता है अब नई व्यवस्था के अनुसार कैश सेफ की व्यवस्था को बंद कर रेलवे के कर्मचारियों द्वारा क्रेडिट नोट व टीआर नोट को बिलासपुर स्थित रोकड़ कार्यालय पहुंचाया जाएगा।

इस व्यवस्था के लागू होने से टे्रनों की समयबद्धता प्रभावित नहीं होगी और क्रेडिट नोट एवं टीआर नोट को निर्धारित समय में ही रोकड़ कार्यालय के सुपुर्द किया जा सकेगा। साथ ही इस कार्य में लगे कर्मचारियों को रेलवे के अन्य कार्यों में उपयोग किया जा सकेगा।

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