कैग रिपोर्ट में खुलासा : छत्तीसगढ़ सरकार ने किए 2184 करोड़ अनियमित खर्च, खुलेआम हुआ घोटाला

महालेखकार ने विधान सभा में 31 मार्च 2016 को समाप्त वर्ष का वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जिसमें 2184 करोड़ रूपए के अनियमित खर्च का खुलासा किया गया।;

Update: 2017-03-31 10:09 GMT

रायपुर, 31 मार्च ! महालेखकार ने कल विधान सभा में 31 मार्च 2016 को समाप्त वर्ष का वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जिसमें 2184 करोड़ रूपए के अनियमित खर्च का खुलासा किया गया। प्रतिवेदन में 3146 रूपए के अतिरिक्त खर्च एवं वर्ष 2016 के बजट का 80 हजार करोड़ रूपए में 20 हजार करोड़ खर्च नहीं कर पाने की जानकारी दी गई।

महालेखाकार विजय कुमार मोहती ने आज पत्रकारों से चर्चा करते हुए बताया कि वर्ष 2015-16 के दौरान राजकोषिय दायित्वों में विगत वर्ष की तुलना में 20.07 फिसदी वृद्धि हुई। वहीं आंतरिक ऋण 18195 करोड से बढक़र 24215 करोड हो गया। सरकार सबिसडी पर  97 फीसदी बढ़ाकर 3749 करोड से 7397 करोड तक पहुंचा किया। हितग्रहियों  
को दोहरालाभ देने से 48.47 लाख का भुगतान सरकार को अधिक करना पड़ा।

महालेखाकार ने बताया कि एनीकेटो को पूर्ण करने में अत्यधिक विलंब एवं अपूर्ण एनीकेटो पर 1095.74 करोड़ का व्यय निष्फल रहा। चूंकि सरकार बिना योजना 369 एनीकेट बना रही है जिसकी लागत 2680 करोड़ है उनमें से 280 एनीकेट 10 वर्ष बाद भी नहीं बन पाए । एनीकटो के निर्दिष्ट उद्देश्य जैसे भू-जल पुनर्भरण, रबी मौसम के दौरान सिंचाई की पूर्ति नहीं हुई क्योकि 72 चयनित एनीकटों में से 47 एनीकट भू-जल स्तर  में  वृद्धि नहीं कर सके जैसा कि केन्द्रीय भू-जल बोर्ड द्वारा सुनिश्चित किया गया एवंं 79 प्रतिशत कृषियोग्य भूमि विद्युत कनेक्षन के अभाव, एनीकट से कृषि भूमि की दूरी, एनीकट के जनदीक वाले क्षेत्रों मं किनारों की अत्यधिक ऊंचाई इत्यादि के कारण सिंचित नहीं हो रही थी। विभाग द्वारा एनीकट से पानी की आपूर्ति के प्रबंधन के लिये कोई भी योजना नहंी बनाई गई। 

कबोगा एनीकट अपने निर्माण कार्य पूर्ण होने के 19 महीनों के अंद सामग्री की गुणवत्ता एवं  कार्यकुशलता सही नहीं होने के कारण क्षतिग्रस्त हुआ। बैंक प्रोटेक्शन और फाउडेशन कार्य क्रियान्वित न किये जाने के कारण मैनपुर एनीकट भी क्षतिग्रस्त हुआ। सिरपुर एवं बडग़ांव स्टापडेम की मुख्य संरचना में दरार, गेठ सही तरीके से नहीं लगाये गये एवं प्रोटैक् शन वॉल भी क्षतिग्रस्त थी। परिणामस्वरूप शासन को रू 3.22 करोड़ की हानि हुई जबकि इन एनीकटों के निर्माण का उद्देश्य पूरी तरह से विफल रहा। एनीकटों को स्वीकृत करते समय चयन के मानकों जैसे सफल विफलता, वर्षा, ग्रीष्म ऋतु में भू-जल स्तर आदि पर विचार नहीं किया गया। परिणामस्वरूप चयनित नमूने एवं स्थल भ्रमण किये गये 72 एनीकटों में यह पाया गया कि चयन के मापदण्डों का उल्लंघन करते हुए 35 एनीकटो की स्वीकृति उन नालाओं एवं नदियों पद की गई जो कि बारहमासी नहीं थे और इनमें से 22 एनीकटों में वर्ष भर पानी की उपलब्धता के उद्देश्य के विपरित मात्र छ: से आठ पानी था। 

महालेखाकार ने स्कूलों की गुणवत्ता पर कहा कि शासन द्वारा आयोजित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम शिक्षा गुणवत्ता अभियान सर्वेक्षण के अनुसार कुल विद्यालयों ममें केवल 25 प्रतिशत विद्यालयों ने ग्रेड ए प्राप्त किया जबकि शेष 75 प्रतिशत को बी से डी के अंतर्गत श्रेणीबद्ध किया गया जिसमें 12 प्रतिशत को केवल ग्रेड डी में रखा गया।  राज्य में मार्च 2016 की स्थिति में 876 बसाहटों में विद्यालय तथा 1231 बसाहटों में उच्च प्राथमिक विद्यालय नहीं थे। आगे अधिनियम की धारा 25 के  उल्लंघन में राज्य के बसाहटों के विद्यालयों में प्रतिकूल शिष्य अध्यापक अनुपात  के साथ-साथ अधिशेष शिक्षक सहअस्तित्व में थे। शासन ने असंतुलन को दूर करने हेतु सर्वोत्कृष्ट अनुपात को तीन वर्षो के भीतर अर्थात मार्च 2013 तक प्राप्त करने के लिए शिक्षकों की उपलब्धता को युक्तिसंगत करने हेतू कोई भी व्यवस्था नहीं की। इसके अतिरिक्त, अधिनियम की धारा(23) (2) के उल्ललंघन में राज्य में मार्च 2016   की स्थिति में 11,963 शिक्षक (20 प्रतिशत) अप्रशिक्षित थे।

घरेलू उत्पाद लक्ष्य से कम

मार्च 2016 तक घरेलु उत्पाद लक्ष्य से बहुत कम रहा, हालांकि फिजिकल डेफिसिएट पर सरकार का काम सराहनीय रहा सभी विभागों को मिलाकर कुल चार रिपोर्ट पेश किए गए जिसमें कुल तीन हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की अनियमितता पायी गयी। चौकाने वाला आंकड़ा ये रहा कि 80 हजार करोड़ के बजट में सरकार 20 हज़ार करोड़ खर्च भी नहीं कर पायी। राज्य स्थापना से अभी तक 3146 करोड़ बजट से ज्यादा खर्च किये गये है, जिसे रेगुलर नहीं किया जा सका है। सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में 2183 करोड़ की गड़बड़ी की शिकायत मिली है।

खुलेआम किया घोटाला

पंचायतों में स्कूल डेवलपमेंट के नाम पर दिये गये 10 करोड़ सरपंचों ने हड़प लिये। सबसे ज्यादा सरगुजा क्षेत्र के पंचायतों में गड़बड़ी हुईज्वहां करीब 9 करोड़ सरपंचों हड़प लिये। तो वहीं कांकेर पीएचई के इंजीनियर ने 2 करोड़ के 174 चेक खुद के नाम पर बना लिये। एक कंपनी रोड के मेजरमेंट के लिए नियुक्त किया गया था.. लेकिन वो कंपनी ने भी गलत तरीके से मेजरमेंट कर सरकार को करीब 8 से 10 करोड़ का चुना लगाकर फरार हो गयी। स्कूलों में इन्फ्रास्टक्चर के लिए आया 858 करोड़ सैलरी के लिए बांटी गई ।18 करोड़ खर्च कर बना होटल मैनेजमेंट में आज तक कोर्स शुरू नहीं हुआ एक स्टूडेंट भी पास नहीं हुआ।

प्रतिवेदन पर लोक लेखा समिति और सार्वजनिक उपक्रम समिति करेगी विचार

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक के प्रतिवेदन पर विधानसभा की लोक लेखा समिति और सार्वजनिक उपक्रम समिति द्वारा जांच की जाएगी और उस पर विचार करने के बाद अपना अभिमत दिया जाएगा। जांच और विचारोपरांत दोनों समितियों के प्रतिवेदन विधानसभा में प्रस्तुत किए जाएंगे। उन्होंने कहा- विधानसभा की प्रक्रिया और कार्यप्रणाली में यह प्रावधान है। विधानसभा की लोक लेखा समिति में नेता प्रतिपक्ष  टी.एस. सिंहदेव को और सार्वजनिक उपक्रम समिति में देवजी भाई पटेल को सभापति मनोनीत किया गया है। दोनों समितियों में पक्ष और प्रतिपक्ष के सदस्य शामिल रहते हैं।

करोड़ों का हुआ नुकसान

1663 करोड़ का रेवन्यू एरियर सरकार वसूल नहीं कर पाई। 44 करोड़ रुपए का लाभ कई उद्योगों को दे दी गई, लेकिन वसूला नहीं गया। जिंदल से कोयले की 14 करोड़ से ज्यादा रायल्टी की राशि सरकार नहीं वसूल पाई।

17 हजार लोगों पर सिर्फ एक डाक्टर

सरकार ने दावा किया था प्रति एक हजार लोगों पर एक डाक्टर की तैनाती की जायेगी। लेकिन मार्च 2016 के आंकड़े बताते हैं कि 17 हजार लोगों पर एक डाक्टर की तैनाती हो पायी है। वहीं 1 लाख लोगों पर अभी 21 नर्स तैनात हैं। जबकि दावा किया गया था कि एक लाख लोगों पर 75 नर्सों की तैनाती होगी। पूरे स्टेट में 963 स्पेशलिस्ट डाक्टरों के अनुपात में सिर्फ 46 डॉक्टर ही है।

945 डाक्टरों ने गांव में नौकरी नहीं की
ग्रामीण स्तर पर डाक्टरों की कमी दूर करने के लिए 945 डॉक्टरों को ग्रामीण क्षेत्रों में भेजा गया। लेकिन उन्होंने ग्रामीण इलाकों में नौकरी करने से इंकार किया। वहीं 171 डाक्टर ग्रामीण इलाकों में जाना चाहते थे। तो सरकार ने प्रस्ताव नहीं स्वीकारा उलटे उनकी 66 लाख की अनुबंध राशि भी जब्त कर ली।

सडक़ निर्माण में गड़बड़ी
प्रधानमंत्री ग्राम सडक योजना में बारहमासी सडक़ निर्माण में 23 करोड़ का बेफिजुल खर्च किया गया। तो वहीं निर्माण एजेंसी को भी 8 करोड़ का ज्यादा भुगतान कर दिया गया।

प्राइवेट स्कूल कमा रहे मुनाफा
निजी स्कूल नियमों के मुताबिक मुनाफा नहीं कमा सकते हैं। लेकिन कई बड़े स्कूल मुनाफा कमा रहे हैं। हालांकि राजधानी के ही बड़े-बड़े स्कूल आरटीआई के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं।

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