बागवानी किसानों के लिए वरदान, आमदनी बढ़ाने का जरिया : मंत्री

किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुनी करने के लक्ष्य को लेकर चल रही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बागवानी को खास तवज्जो दे रही है;

Update: 2020-03-11 16:21 GMT

नई दिल्ली । किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुनी करने के लक्ष्य को लेकर चल रही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बागवानी को खास तवज्जो दे रही है, क्योंकि फलों, सब्जियों और मसालों की खेती से किसानों को अन्य कृषि फसलों के मुकाबले ज्यादा फायदा होता है।

इस बात को देश के विभिन्न हिस्सों में बागवानी करने वाले किसानों ने साबित करके दिखाया है। राजस्थान के सीकर के बेरी गांव की संतोष देवी महज एक एकड़ के अपने फार्म से साल में लाखों रुपये कमाती हैं। संतोष देवी की तरह कम जोत की जमीन वाले कई किसान बागवानी से लखपति बने हैं।

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री कैलाश चौधरी कहते हैं कि बागवानी किसानों के लिए वरदान है, जिससे उनकी आमदनी दोगुनी ही नहीं, पांच गुनी तक बढ़ सकती है।

चौधरी ने आईएएनएस से कहा कि यही कारण है कि केंद्र सरकार एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) पर विशेष जोर दे रही है और इससे ज्यादा से ज्यादा किसानों को जोड़ने की कोशिश की जा रही है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जब किसान रेल चलेगी तो फल, सब्जी व अन्य खराब होने वाले कृषि उत्पादों का परिवहन तत्परता से होगा, जिससे किसानों को उनके उत्पादों का उचित व लाभकारी दाम मिलेगा।

चौधरी ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित योजना एमआईडीएच का मकसद बागवानी क्षेत्र में फलों, सब्जियों, कंद-मूल, मशरूम, मसाले, फूल, सुगंधित पौधे, नारियल, काजू, कोको और बांस को कवर करते हुए बागवानी क्षेत्र का समग्र विकास करना है।

इस मिशन के तहत केंद्र सरकार कुल खर्च में सामान्य राज्यों को 60 फीसदी और पूवोत्तर व हिमालयी राज्यों को 90 फीसदी हिस्सा देती है। वहीं, केंद्र शासित प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के संगठनों के लिए केंद्र सरकार शतप्रतिशत खर्च वहन करती है।

एमआईडीएच के तहत राष्ट्रीय बागवानी मिशन (एनएचएम), पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिए बागवानी मिशन (एचएमएनईएच), राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (एनएचबी), नारियल विकास बोर्ड (सीबीडी) और केंद्रीय बागवानी संस्थान (सीआईएच), नागालैंड शामिल हैं।

बिहार के बागवानी सह मिशन के निदेशक नंद किशोर कहते हैं कि बागवानी मिशन की योजनाओं के प्रति किसानों का रुझान बढ़ा है, खासतौर से मशरूम और सब्जियों की वैज्ञानिक ढंग से खेती में किसान ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं, क्योंकि इसमें उनको फायदा दिख रहा है।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के बागवानी विज्ञान संभाग में प्रधान वैज्ञानिक डॉ.विक्रमादित्य पांडेय ने आईएएनएस से बातचीत में इस बारे में बताया कि देश फूलों, फलों, सब्जियों, मसालों, रोपड़ फसलों, औषधीय एवं सगंधीय पौधों और सब्जियों की खेती से किसानों को खाद्यान्नों व अन्य नकदी फसलों की तुलना में ज्यादा आमदनी होती है।

उन्होंने बताया कि किसान बागवानी फसलों के फायदे को देखते हुए लगातार इसकी खेती में दिलचस्पी ले रहे हैं, जिसके फलस्वरूप देश में लगातार सात साल से बागवानी फसलों का उत्पादन खाद्यान्नों के मुकाबले ज्यादा हो रहा है। देश में इस साल 2019-20 में बागवानी फसलों का उत्पादन 31.34 करोड़ टन होने का अनुमान है, जबकि खाद्यान्नों का उत्पादन 29.19 करोड़ टन।

राजस्थान की संतोष देवी ने कुछ महीने पहले आईएएनएस को बताया था कि उन्हें महज एक एकड़ जमीन में बागवानी से सालाना 17-18 लाख रुपये की बचत होती है।

पिछले ही सप्ताह राज्यसभा सदस्य प्रशांत नंदा के सवालों के लिखित जवाब में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, समेकित बागवानी विकास मिशन को सरकार ने 15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट पेश होने या इसकी सिफारिशें लागू होने तक के लिए बढ़ाने को मंजूरी दे दी है।

वैज्ञानिकों ने बताया कि इस मिशन के तहत देशभर में किसानों को बागवानी लगाने के प्रशिक्षण से लेकर फसल संरक्षण और इसके विपणन तक की के साथ-साथ सरकार द्वारा चलाई गई स्कीमों का लाभ उठाने की जानकारी दी जाती है। अधिकारियों ने बताया कि किसानों इस मिशन के तहत उन्नत किस्म के बीज व पौघे किफायती दरों यानी सब्सिडी पर उपलब्ध कराए जाते हैं।

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