त्रिपुरा में भाजपा ने नेताओं को चुनाव प्रचार में उतारा

मेघालय में मतदान होने में अभी पांच दिन शेष हैं और इस कम समय में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने शीर्ष नेताओं को चुनाव प्रचार में उतार दिया है;

Update: 2018-02-14 16:20 GMT

कंचनपुर।  मेघालय में मतदान होने में अभी पांच दिन शेष हैं और इस कम समय में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने शीर्ष नेताओं को चुनाव प्रचार में उतार दिया है तो मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) भी मतदाताओं को लुभाने में अपने स्टार प्रचारकों को प्रचार में लाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।

राज्य में भाजपा ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री याेगी आदित्यनाथ को चुनाव प्रचार में लगाया है तो माकपा ने अपनी तेज तर्रार नेता आैर राज्य सभा सदस्य वृंदा करात को प्रचार की कमान साैंपी है।
सुश्री करात ने यहां पार्टी प्रत्याशी राजेन्द्र रियांग के पक्ष में चुनाव प्रचार करते हुए कहा कि यह भारतीय जनता पार्टी नहीं बल्कि भारतीय झगड़ा पार्टी है।

राज्य में चुनाव प्रचार के लिए हेलीकाप्टरों के जमकर इस्तेमाल पर उन्होंने कहा“मतदान में अभी पांच दिन बाकी बचे हैं और हम देख रहे हैं कि चारों तरफ हेलीकाप्टर चक्कर लगा रहे हैं,क्या ये केवल हेलीकाप्टर हैं, कौन सी चील घूम रही है त्रिपुरा को खाने के लिए, हम नहीं जानते है कि त्रिपुरा को समाप्त करने के लिए कौन कौन से साजिशकर्ता घूम रहे हैं।”

भाजपा और इंडीजिनस पीपुल्स फ्रंट आफ त्रिपुरा(आईपीएफटी) के गठबंधन पर उन्होंने कहा “अगर यह गठबंधन सत्ता में आता है तो वे जनजातीय लोगों के लिए त्रिपुरालैंड का गठन कर सकतें हैं और राज्य के मौजूदा स्वरूप को नष्ट कर देंगें।

दूसरी तरफ भाजपा नेताओं का कहना है “माकपा वास्तव में इस बात को लेकर काफी नर्वस है कि जनजातीय और चाय बागान में काम करने वाले श्रमिक भाजपा की रैलियों में हिस्सा लेने के लिए पूरे जोर शोर से आ रहे हैं । एक तरफ जहां याेगी आदित्यनाथ की रैली में जय राम का उद्घोष होता है ताे दूसरी तरफ मुस्लिम तथा ईसाई समुदाय के लोग भी भाजपा में शामिल हो रहे हैं।” उनके इन दावों पर कटाक्ष करते हुए करात ने कहा कि भाजपा शासित सभी राज्यों में दलितों, जनजातीय लोगों और मुस्लिमों के साथ बहुुत ही अमानवीय बर्ताव होता है

 करात ने लोगों से माकपा प्रत्याशी के समर्थन में मतदान करने का आग्रह करते हुए कहा,“आइए बदलाव के लिए मतदान करें और आपका मतदान ऐसा होना चाहिए कि उनको यह कहना पड़ जाए कि अब हमें त्रिपुरा से भाग निकलना चाहिए।”

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