भाजपा नेता पहले बताएं कि वे किसानों को बोनस देने के पक्ष में हैं या नहीं : मरकाम
कांग्रेस के नेतृत्व में किसानों के आंदोलन के बाद ही सरकार 15 च्ंटिल धान खऱीदने के लिए बाध्य हुई थी;
रायपुर। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि किसानों की झूठी चिंता करने से पहले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय, पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और भाजपा नेता पहले यह बता दें कि वे किसानों को समर्थन मूल्य और बोनस देने के पक्ष में हैं या नहीं?
किसानों से 20 च्ंटिल धान खऱीदी की मांग पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा है कि इसी भाजपा ने सरकार में रहते हुए किसानों से सिफऱ् 10 क्लिंटल धान खऱीदने का फ़ैसला किया था। कांग्रेस के नेतृत्व में किसानों के आंदोलन के बाद ही सरकार 15 च्ंटिल धान खऱीदने के लिए बाध्य हुई थी। उन्होंने कहा है कि भाजपा ने हर साल धान का 300 रुपए बोनस देने की बात कही थी लेकिन किसानों को बोनस सिफऱ् चुनावी साल में मिल पाया। 2100 रुपए समर्थन मूल्य दिलाने का वादा तो भाजपा कभी पूरा ही नहीं कर पाई।
श्री मरकाम ने पूछा है कि केंद्र की भाजपा सरकार ने जब केंद्र की सरकार ने छत्तीसगढ़ सरकार से कह दिया कि अगर किसानों को बोनस दिया गया तो केंद्र सरकार राज्य से चावल नहीं लेगी तब भाजपा के किसी नेता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नहीं कहा कि बोनस दिया जाना चाहिए। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बताएं कि प्रदेश से चुनकर गए किस सांसद ने केंद्र सरकार के सामने यह बात उठाई थी कि किसानों का बोनस मिलना ही चाहिए। उन्होंने कहा है कि किसानों को धान का 2500 रुपए प्रति च्ंिटल भुगतान करने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ शुरु की और सुनिश्चित किया कि किसानों का नुक़सान न हो। लेकिन केंद्र की मोदी सरकार ने तो तीन काले क़ानून बनाकर किसानों का अहित सुनिश्चित कर दिया है।
उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार की समर्थन मूल्य ख़त्म करने की साजि़श पर भाजपा नेता चुप हैं। न वे मंडियों और सहकारी समितियों को ख़त्म करने पर कुछ कह रहे हैं और न ठेका खेती शुरु करने पर कुछ कह रहे हैं। भाजपा नेताओं के बयान को घडिय़ाली आंसू बताते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि भाजपा नेता पहले तय कर लें कि वे प्रदेश के किसानों के साथ खड़े हैं या नहीं फिर वे बयान दें। अगर वे प्रदेश के किसानों के हक़ में सोच रहे हैं तो उन्हें तीनों काले कानूनों का विरोध करना चाहिए और केंद्र सरकार से कहना चाहिए कि वह यह घोषणा करे कि न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी से कम दरों पर किसी भी कृषि उत्पाद की खऱीदी को क़ानूनन अपराध घोषित किया जाएगा।