भाजपा के पास ‘डबल इंजन’ सरकार तो कांग्रेस के पास है ‘ट्रबल इंजन’ सरकार : नड्डा
भाजापा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कांग्रेस पर तीखा तंज कसते हुए कहा कि भाजपा के पास जहां राज्य की जनता को देने के लिए ‘डबल इंजन’ की सरकार है;
बेंगलुरु। भारतीय जनता पार्टी (भाजापा) राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सोमवार को कांग्रेस पर तीखा तंज कसते हुए कहा कि भाजपा के पास जहां राज्य की जनता को देने के लिए ‘डबल इंजन’ की सरकार है तो दूसरी ओर कांग्रेस के पास नरेंद्र मोदी सरकार की विकासोन्मुखी योजनाओं पर ब्रेक लगा देने वाली ‘ट्रबल इंजन’ सरकार है।
श्री नड्डा ने आज यहां एक चुनावी रैली के दौरान पार्टी का घोषणपत्र जारी किया। इस मौके पर उन्होंने कहा “ हमारे पास डबल-इंजन सरकार है, वहीं कांग्रेस की ट्रबल-इंजन सरकार है। हम विकास के लिए हैं, वे रिवर्स-गियर के लिए हैं। हम विकास को गति देने के लिए हैं, तो वे विकास की गति और श्री मोदी की अच्छी नीतियों पर ब्रेक लगाने के लिए हैं।”
उन्होंने कहा कि कर्नाटक में कांग्रेस के छह साल के कुशासन में भाजपा की अच्छी नीतियों को एक बड़ा झटका लगा था और इस रिवर्स गियर वाली सरकार ने योजनाओं को आगे नहीं बढ़ने दिया।
उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्ववर्ती सिद्दारमैया सरकार राज्य के प्राकृतिक संसाधनों को लूटने,अपराधियों तथा असामाजिक तत्वों को बढावा देने और समाज के एक वर्ग विशेष को खुश करने में लगी रही और यह सब केवल वोट बैंक की खातिर किया गया। केंद्र की डबल इंजन की सरकार जब किसानों को देश भर में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के माध्यम से मदद दे रही थी उस दौरान कर्नाटक सरकार ने केवल 17 किसानों के नाम राज्य से भेजे थे। इसे क्या कहेंगे यह विकास की रफ्तार को कुंद करना नहीं था। साथ ही इस तरह से केंद्र सरकार और लोगों के बीच एक बाधा बनना था।
उन्हाेंने कहा कि इसके विपरीत प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत कर्नाटक में 54 लाख किसानों को 10,000 रुपये का समेकित लाभ देने के लिए 15,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए। यह भाजपा की डबल-इंजीनियर सरकार का उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने कहा , “ इतना ही नहीं कांग्रेस ने यशस्विनी नाम की बीमा योजना को 2018 में खत्म कर दिया था, लेकिन भाजपा ने इसे पुनर्जीवित किया, जिससे 32 लाख किसानों का पंजीकरण सुनिश्चित हुआ। इसलिए हमें यह समझना होगा कि डबल इंजन सरकार से हमारा क्या मतलब है।”
श्री नड्डा ने यह भी कहा कि कांग्रेस के शासन में एफडीआई 1.75 लाख करोड़ रुपये था, लेकिन बीएस येदियुरप्पा और बसवराज बोम्मई के शासन में यह 3.02 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। कांग्रेस सरकार अपने शासनकाल में केवल 548 स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र खोल सकी, लेकिन श्री बोम्मई की सरकार के दौरान ऐसे 8,618 केंद्र खोले गए। कांग्रेस शासन के दौरान कानून व्यवस्था चरमरा गई थी क्योंकि पीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को लोगों को आतंकित करने के लिए खुली छूट दी गई थी और आश्चर्यजनक रूप से बेंगलुरु,महिलाओं के लिए देश में दूसरा सबसे असुरक्षित शहर बन गया था।
उन्होंने कहा कि यह वह समय था जब श्री सिद्दारमैया ने पीएफआई के खिलाफ 175 आपराधिक मामले वापस ले लिए। लेकिन जब भाजपा सत्ता में आई, तो उसने पीएफआई पर प्रतिबंध लगा दिया और एनआईए को फ्रीहैंड दिया गया तथा महिला सुरक्षा को बढ़ाते हुए पूरे बेंगलुरु में 41,000 सुरक्षा कैमरे लगाए गए।”
भाजपा अध्यक्ष ने यह भी कहा कि भाजपा ने सभी के लिए न्याय की राह पर चलकर सामाजिक न्याय से संबंधित लंबित मांगों को पूरा करके क्रांतिकारी बदलाव किए, किसी से अपील नहीं की। उन्होंने कहा, इसलिए अल्पसंख्यकों को दिया गया असंवैधानिक आरक्षण निरस्त किया गया। श्री बोम्मई के नेतृत्व में भाजपा ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण क्रमशः 15 से बढ़ाकर 17 प्रतिशत और 3 से 7 प्रतिशत कर दिया। ओबीसी की 2सी और 2डी श्रेणियों के तहत वोक्कालिगाओं का आरक्षण 02 प्रतिशत और लिंगायतों का 02 प्रतिशत बढ़ाया गया था।
श्री नड्डा ने कहा कि भाजपा सरकार ने कर्नाटक और कन्नडिगों की गौरवशाली संस्कृति को बचाने और पुनर्जीवित करने का भी ध्यान रखा और इसके लिए 2021 में गोहत्या विरोधी विधेयक पारित किया गया साथ ही 2022 में धर्मांतरण विरोधी कानून पारित किया गया। इसके लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित करके भगवान हनुमान की जन्मभूमि अंजनाद्री पहाड़ी का व्यापक विकास भी किया है। उन्होंने कहा कि श्री बसवेश्वर के सम्मान में अनुभव मंतपा के विकास के लिए 600 करोड़ रुपये भी आवंटित किए गए हैं।
श्री नड्डा ने भाजपा के घोषणापत्र को कांग्रेस के घोषणापत्र से सर्वथा भिन्न बताते हुए कहा कि कांग्रेस जिसकी खुद की वारंटी पुरानी हो गयी है वह गारंटी की बात करती है। उनके पास जनता को देने के लिए कुछ भी नहीं है वह केवल इसके बारे में बातें करते हैं। भाजपा के घोषणा पत्र में वह सभी वादे हैं जिनसे कर्नाटक के युवाओं ,किसानों, महिलाओं, बुनकरों, मध्यम वर्गीय परिवार, अनुसूचित जाति तथा जनजाति समुदाय और समाज के सभी हिस्सों की उम्मीदें पूरी की जा सकती हैं।