भाजपा सरकार की नीतियां किसान विरोधी: किसान सभा

लोकतांत्रिक किसान सभा ने आज कहा कि धान की पराली का निपटान एसएमएस रिपर के बिना भी किया जा सकता है और इससे फैलने वाला प्रदूषण उद्योगों तथा अन्य द्वारा फैलाए जा रहे प्रदूषण से कहीं कम है;

Update: 2018-10-04 17:33 GMT

जालंधर।  लोकतांत्रिक किसान सभा ने आज कहा कि धान की पराली का निपटान एसएमएस रिपर के बिना भी किया जा सकता है और इससे फैलने वाला प्रदूषण उद्योगों तथा अन्य द्वारा फैलाए जा रहे प्रदूषण से कहीं कम है।

किसान सभा के महासचिव ने धान की पराली के निपटान के लिए सरकार द्वारा एसएमएस रिपर संबंधी लगाई जा रही शर्त को किसान विरोधी बताते हुए कहा कि इन शर्तों के पीछे वातावरण की चिंता कम, इंडस्ट्री की चिंता ज़्यादा दिखाई दे रही है। 

जालंधर के देश भगत यादगार हाल में आयोजित सेमिनार को संबोधित करने वाले कृषि विशेषज्ञों ने कहा कि पराली की संभाल के लिए महँगी मशीनों की ज़रूरत नहीं है। यह मशीनें खरीदना किसानों पर अनावश्यक बोझ है। उन्होंने कहा कि रिपर से कटाई और बुवाई का खर्च प्रति एकड़ छह हजार रूपये बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि धान की जड़ों पर पड़ा कम्बाइन वाला फूस बहुत हलका होता है और उसे जलाने से पैदा होने वाला धुआँ अधिक घना नहीं होता, जिसके कारण प्रदूषण भी कम होता है और धरती के तापमान में भी बढ़ोतरी नहीं होती। 

किसान सभा ने केंद्र सरकार द्वारा गेहूँ के भाव में की गयी 105 रुपए को मामूली वृद्धि करार देते हुए इसे रद्द कर दिया है। उन्होंने कहा कि तेल कीमतों में दो गुणा वृद्धि हो चुकी है तथा कृषि औजारों और मशीनों पर 28 फीसदी जीएसटी भी लगा दिया गया है। 

Full View

Tags:    

Similar News