भीमा कोरेगांव हिंसा : पुणे पुलिस का नोएडा में डीयू प्रोफेसर के घर छापा  

दिल्ली से सटे यूपी के हाईटेक शहर नोएडा में दिल्ली विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर के घर में आज सुबह पुणे पुलिस ने छापा मारा।;

Update: 2019-09-10 16:17 GMT

गौतमबुद्ध नगर । दिल्ली से सटे यूपी के हाईटेक शहर नोएडा में दिल्ली विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर के घर में आज सुबह पुणे पुलिस ने छापा मारा। छापेमारी के पीछे प्रमुख वजह 2018 के जनवरी महीने में भीमा कोरेगांव में हुई जातिगत हिंसा बताई जाती है। पुणे क्राइम ब्रांच पुलिस टीम का नेतृत्व पुणे पुलिस के उपायुक्त बच्चन सिंह कर रहे थे। गौतमबुद्ध नगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक वैभव कृष्ण ने आईएएनएस को बताया, "पुणे पुलिस ने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हनी बाबू एमटी के यहां छापा मारा है। छापा पुणे अपराध शाखा के जांच अधिकारी सहायक पुलिस आयुक्त शिवाजी पवार की देखरेख में की गई।"

एसएसपी गौतमबुद्ध नगर के मुताबिक, "दरअसल पुणे पुलिस ने पुणे शहर के थाना विश्रामबाग में 4/2018 को दर्ज मामले में यह छापा मारा है। एफआईआर किसी एलगार परिषद से संबंधित मामले की बताई जाती है। पुणे पुलिस ने गौतमबुद्ध नगर पुलिस से छापे में मदद मांगी थी जो, उसे मुहैया करा दी गई। छापे के दौरान कोई गिरफ्तारी नहीं की गई। पुणे पुलिस ने मौके से कुछ दस्तावेज जब्त किए हैं।"

वैभव कृष्ण के मुताबिक, "छापे की पूरी वीडियो रिकॉर्डिग की गई है, ताकि बाद में कहीं कोई समस्या न पैदा हो।"

उल्लेखनीय है कि 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में दलितों ने एक समारोह का आयोजन किया था। हर साल यह आयोजन किया जाता है। समारोह में 260 गैर सरकारी संगठन शामिल हुए थे। सम्मेलन में 35 हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए थे। सम्मेलन में गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवानी सहित राधिका वेमुला, दलित नेता प्रकाश आंबेडकर, भीम आर्मी के विनय रतन सिंह, उमर खालिद भी पहुंचे थे।

गौरतलब है कि इस समारोह का आयोजन 200 साल पहले भीमा नदी पर हुए पेशवा और ब्रिटिश हुकूमत के बीच हुई लड़ाई में दलितों को मिली विजय की याद में किया जाता है। पेशवा सेना के खिलाफ जंग के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी ने छल-कपट के बलबूते महार रेजीमेंट को उतार दिया। उस लड़ाई में 275 सैनिक मारे गए थे। जबकि विजय का सेहरा बंधा था महार रेजीमेंट के सिर। तभी से हर साल इस समारोह का आयोजन होता आ रहा है।

पुणे में 31 दिसंबर, 2017 को हुए एलगार परिषद कॉन्क्लेव के अगले दिन हिंसा भड़क गई। हिंसा में एक शख्स की मौत हो गई, जबकि तमाम लोग जख्मी हुए थे। पुणे पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच-पड़ताल शुरू की। तब यह बात सामने आई कि दरअसल उस आयोजन और फिर हिंसा के पीछे प्रतिबंधित संगठन कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया माओवादी का हाथ था। तब से ही पुलिस उस कार्यक्रम में शरीक होने और आयोजन में बढ़चढ़ कर हिस्सेदारी निभाने वालों की तलाश में जुटी है।

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