गन्ने के दाम में बढ़ोत्तरी किये जाने पर भाकियू का विरोध प्रदर्शन

भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) ने गन्ने के दाम में मामूली बढ़ोत्तरी किये जाने के विरोध में प्रदेश के जिला मुख्यालयों पर गन्ना जलाकर प्रदर्शन किया।;

Update: 2017-10-28 12:45 GMT

लखनऊ। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) ने गन्ने के दाम में मामूली बढ़ोत्तरी किये जाने के विरोध में प्रदेश के जिला मुख्यालयों पर गन्ना जलाकर प्रदर्शन किया।

लखनऊ में सुबह करीब छह बजे मण्डल अध्यक्ष हरिनाम सिंह वर्मा के नेतृत्व में भाकियू कार्यकर्ताओं ने विधानभावन के सामने सरकार द्वारा मात्र दस रुपये गन्ने का दाम बढ़ाये जाने के विरोध में गन्ने और धान की होली जलाकर प्रदर्शन किया। इस मौके पर श्री वर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा घोषित गन्ना मूल्य नाकाफी है।

उन्होंने आरोप लगाया कि चीनी मिलों और सरकार की मिलीभगत के चलते गन्ना किसानों के हितों की अनदेखी की गयी है। उन्होने सरकार से खेती पर बढ़ती लागत को ध्यान में रखते हुए गन्ने का मूल्य कम से 450 रुपये प्रति कुंतल और धान का मूल्य 2500 रुपये तथा आलू का एक हजार रुपये प्रति कुंतल घोषित किये जाने की मांग की।

उन्होंने कहा कि राज्य विधानसभा चुनाव प्रचार में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गन्ना मूल्य बढ़ाने और किसानों के बकाये का भुगतान किये जाने का वायदा किया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों को धान तथा आलू का लाभकारी मूल्य दिलाने का भरोसा दिया था। श्री वर्मा ने कहा कि किसानों के दम पर सत्ता में आयी भाजपा सरकार ने पेराई सत्र 2017-18 के लिए गन्ने के मूल्य में दस रुपये की वृद्धि कर गन्ना किसानों के साथ भद्दा मजाक किया है।

योगी आदित्यनाथ की सरकार ने भी गन्ना किसानों के साथ पूर्ववर्ती सरकारों जैसा व्यवहार किया है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य दिलाने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि डीजल, बिजली, कीटनाशक, खाद के दाम बढ़ने से गन्ना किसानों की लागत में काफी वृद्धि हुई है।

सरकार किसानों का इस्तेमाल केवल सत्ता प्राप्त करने के लिए करती है। सरकार बनने पर उनके हितों की ओर ध्यान नहीं दिया जाता है। राजनीतिक दल वोट बैंक के रूप में ही उनका इस्तेमाल करते हैं।

 

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