'भारत बंद' बंद के दौरान भड़की हिंसा, दस की मौत

एससी/एसटी एक्ट में बदलाव के खिलाफ दलित संगठनों ने सोमवार को देशभर में प्रदर्शन किया। दलितों के भारत बंद के आह्वान पर देश के अलग-अलग शहरों में दलित संगठन और उनके समर्थकों ने प्रदर्शन किया;

Update: 2018-04-03 01:32 GMT

नई दिल्ली/ग्वालियर/लखनऊ। एससी/एसटी एक्ट में बदलाव के खिलाफ दलित संगठनों ने सोमवार को देशभर में प्रदर्शन किया। दलितों के भारत बंद के आह्वान पर देश के अलग-अलग शहरों में दलित संगठन और उनके समर्थकों ने प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान ट्रेन रोकीं गई और सड़कों पर जाम लगाया गया, कई जगहों पर पुलिस थानों व दुकानों में आगजनी भी की गई। उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार, मध्यप्रदेश और राजस्थान समेत कई राज्यों में तोड़फोड़, जाम और आगजनी की घटनाएं सामने आई हैं। अब तक दस लोगों का जीवन आंदोलन की भेट चढ़ चुका है। इसमें सबसे अधिक प्रभावित मध्य प्रदेश रहा जहां 6 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।

उत्तर प्रदेश में दो और राजस्थान में एक युवक की मौत की पुष्टि हुई है। वहींसरकार ने विरोध प्रदर्शन के बीच मामले को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। उधर मामले पर राजनीति भी तेज हो गई है। जहां एक और सरकार अपने आप को पाक साफ बताने में जुटी है वहीं विपक्ष केेंद्र सरकार पर हमलावर है। इसी कड़ी में बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि सरकार को घुटने टेकने पर मजबूर कर देंगे। अगर दलितों के अधिकारों से खिलवाड़ हुआ तो ईंट से ईंट बजा देंगे। कांग्रेस, सपा, बसपा समेत तमाम विपक्षी दल सरकार केेंद्र सरकार के खिलाफ एकजुट हो गए हैं। मध्यप्रदेश और राजस्थान के अलग-अलग इलाकों में हालात काफी नाजुक हैं।

मप्र में अब तक 6 और राजस्थान और उत्तर प्रदेश में एक-एक व्यक्ति की मौत हो गई है, जबकि राजस्थान के बाडमेर में एक हिंसक झड़प में 25 लोग घायल हुए हैं। देशभर के कई राज्यों में हालत तनावपूर्ण हैं साथ ही कई शहरों में कर्फ्य लगा दिया गया है। दरअसल, सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर एससी/एसटी एक्ट में कई बदलाव हुए थे। जिसके बाद केंद्र सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि अदालत में इस मामले पर मजबूती से पक्ष नहीं रखा गया। जिसके विरोध में आज दलित संगठनों की तरफ से भारत बंद बुलाया गया।

हालांकि, सरकार ने अब इस मामले पर सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी है। लेकिन सुबह से पूरे देश से हिंसा शुरू हो गई। यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने हिंसा की निंदा की है, लेकिन उन्होंने एससी-एसटी एक्ट का समर्थन किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोगों ने हिंसा भड़काई है। साथ ही यह मांग भी की जिन्होंने हिंसा फैलाई उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। कई शहरों में पुलिस थानों को भी निशाना बनाया गया है। साथ ही सरकारी वाहनों में आगजनी की गई है। प्रदर्शनकारियों के बवाल के चलते कई रूट पर ट्रेनें चल नहीं पाईं। साथ ही कई हाईवे घंटों तक जाम रहे। सबसे पहले प्रदर्शन के दौरान हिंसक झड़प मध्यप्रदेश के मुरैना में फायरिंग के साथ हुई।

पुलिस फायरिंग में यहां एक व्यक्ति की मौत हो गई है। जिसके बाद इलाके में कर्फ्यू लगा दिया गया है। वहीं, राजस्थान के अलवर में आंदोलन उग्र होने पर पुलिस की फायरिंग में 3 युवक जख्मी हो गए हैं। जिसमें से एक की मौत हो गई है। उधर उत्तर प्रदेश में किडनी डायलिसिस के लिए मुजफ्फरनगर से मोदी नगर जा रही महिला के कार पर प्रदर्शनकारियों ने मेरठ में हमला किया। एनएच-58 पर पहुंचने के दौरान प्रदर्शनकारियों ने कार को जबरन रुकवाया और उसके रियर ग्लास और विंडोज तोड़ डाले। 

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