जीवित रहने के लिए बेहतर लोगों को जोड़ने से बेहतर संभावनाएं आती हैं - जस्टिस एस. थुरैराजा
लॉयड कॉलेज में प्रो. एन आर माधव मेनन ग्लोबल ज्यूरल कॉन्क्लेव का हुआ समापन;
ग्रेटर नोएडा। लॉयड लॉ कॉलेज ने प्रो. एन. आर. माधव मेनन ग्लोबल ज्यूरल कॉन्क्लेव 2023 का आयोजन किया गया। ग्लोबल ज्यूरल कॉन्क्लेव को तीन भागों में बांटा गया, पहला ग्लोबल मूटिंग कॉम्पिटिशन, स्टूडेंट्स, दूसरा ग्लोबल सम्मेलन और तीसरा ग्लोबल न्यायिक संगोष्ठी। ग्लोबल मूट कोर्ट प्रतियोगिता के विजेता सीएमआर यूनिवर्सिटी ऑफ लीगल स्टडीज, बेंगलुरु रहा।
सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थी अधिवक्ता पुरस्कार (महिला)- साइमन सुल्ताना उमी, बांग्लादेश यूनिवर्सिटी ऑफ प्रोफेशनल, बेस्ट स्टूडेंट एडवोकेट पुरस्कार (पुरुष)- यारम रेड्डी लीला कृष्णा रेड्डी, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी,जोधपुर। सर्वश्रेष्ठ स्मृति पुरस्कार- मार ग्रेगोरियस कॉलेज ऑफ लॉ, केरल। छात्रों के कानून सम्मेलन में सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुतकर्ता का पुरस्कार- क्रिस्टा एन जय, मार ग्रेगोरियस।
ग्लोबल ज्यूडिशियल कॉलोक्वियम में बेस्ट रिसर्च पेपर पुरस्कार- कॉलेज ऑफ लॉ, केरल। विजेता चुक्वुमेका ओडुमेग्वु विश्वविद्यालय, नाइजीरिया से डॉ पेट्रीसिया चेनवे इलोका रहे।
श्रीलंका के सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश, जस्टिस एस. थुरैराजा की उपस्थिति में कॉन्क्लेव का समापन समारोह आयोजित किया गया था। उन्होंने भारत, नेपाल, श्रीलंका,भूटान, बांग्लादेश ,म्यांमार ,अफगानिस्तान,अफ्रीका ,नाइजीरिया, आदि देशों के प्रतिभागियों को संबोधित किया। समारोह में भारत के अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि की उपस्थिति भी देखी गई।
न्यायमूर्ति मो. फैज आलम खान, न्यायाधीश, उच्च न्यायालय इलाहाबाद और न्यायमूर्ति संजय प्रसाद, न्यायाधीश, झारखंड उच्च न्यायालय। न्यायमूर्ति थुरैराजा ने छात्रों से कहा कि हालिया महामारी ने हम सभी को यह सिखाया है कि श्अनुकूलनशीलताश् जीवन की कुंजी है।
जीवित रहने के लिए बेहतर लोगों को जोड़ने से बेहतर संभावनाएं आती हैं। वह कानून के छात्रों को संबोधित कर रहे थे जो जल्द ही कानूनी पेशे में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि पेशा एक विशेषाधिकार है जिसके साथ जिन्हें न्याय चाहिए उनकी सेवा करने की जिम्मेदारी आती है। भारत के अटोर्नी जनरल वेंकट रमणी कहा कि मैं कुछ प्रश्न स्वयं पूछता हूँ और मैं चाहता हूँ कि आप पूछें एवं खुद भी, श्वकील की तरह कैसे सोचेंश्ष् एक वकील या एक वैज्ञानिक या एक कवि की तरह सोचने के लिए सटीकता की आवश्यकता होती है और केवल सटीकता के साथ ही किसी को उचित परिणाम मिलता है।
उन्होंने कहा की सोच, रचनात्मकता और कल्पना तीन चीजें हैं जो युवा कानून के छात्रों को बदल देंगी। इलाहाबाद और झारखंड के उच्च न्यायालय के दो न्यायाधीश भी थे। इस दौरान प्रोफेसर डॉ. एस. शिवकुमार,चैयरमेन मनोहर थिरानी, डॉ. मोहम्मद सलीम, डॉ अखिलेश कुमार मौजूद रहे।