ललित सुरजन की कलम से - स्वाधीनता और जनतंत्र का रिश्ता

'स्वतंत्रता दिवस को स्वाधीनता सेनानियों के प्रति कृतज्ञता दिवस के रूप में मनाया जाए। आज यह ध्यान रखना पहले से कहीं अधिक आवश्यक है;

By :  Deshbandhu
Update: 2025-08-14 23:13 GMT

'स्वतंत्रता दिवस को स्वाधीनता सेनानियों के प्रति कृतज्ञता दिवस के रूप में मनाया जाए। आज यह ध्यान रखना पहले से कहीं अधिक आवश्यक है, क्योंकि एक साजिश के तहत देश का नया इतिहास लिखने का काम चल रहा है।

जिन्होंने आज़ादी की लड़ाई में कुर्बानियों दीं, उनके नाम और चिह्न मिटाए जा रहे हैं, उनकी स्मृति का खुलेआम अपमान किया जा रहा है। दूसरी ओर वे ताकतें जिन्होंने औपनिवेशिक सत्ता का तन-मन-धन से सहयोग किया, बल्कि जो अंग्रेजी राज में हुक्म के ताबेदार बन गए, उनका गुणगान हो रहा है, उनकी जय जयकार की जा रही है, उनकी मूर्तियां और मंदिर बन रहे हैं।

सत्य को सिर के बल खड़ा कर दिया गया है। जो नए-नए किस्से गढ़े जा रहे हैं उन्हें सुन-पढ़कर हैरत होती है। दुर्भाग्य है कि पूंजीमुखी मीडिया को इस छद्म को रचने में सत्तातंत्र का सहायक बनने में कोई ग्लानि महसूस नहीं हो रही है। इसलिए आज वक्त है कि जनता तिलक, गोखले, गांधी, नेहरू, पटेल, सुभाष, मौलाना आज़ाद, राजेंद्र प्रसाद, बाबा साहेब, भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद और उनके तमाम साथियों के बारे में जितना कुछ जान सकती है, सही रूप में जानने-समझने की कोशिश करे।'

(देशबन्धु में 15 अगस्त 2019 को प्रकाशित)

https://lalitsurjan.blogspot.com/2019/08/blog-post.html

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