'शेर के मूंछ के बाल': बाल मन की कल्पनाओं और जीवन मूल्यों का अद्भुत संगम

बचपन जीवन का वह निर्मल और कोमल पड़ाव है, जहाँ हर अनुभूति गहरी छाप छोड़ती है;

By :  Deshbandhu
Update: 2025-12-13 21:23 GMT

बचपन जीवन का वह निर्मल और कोमल पड़ाव है, जहाँ हर अनुभूति गहरी छाप छोड़ती है। यही वह समय होता है जब कहानियाँ न केवल बच्चों का मनोरंजन करती हैं, बल्कि उनके व्यक्तित्व, स्वभाव, संवेदनाओं और नैतिक मूल्यों को गढ़ने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। प्रतिष्ठित बाल साहित्यकार रेखा शाह आरबी इस बात को भली-भाँति समझती हैं। वर्षों से वे अपने सहज, प्रभावशाली और बाल-मन को छू लेने वाले लेखन के माध्यम से युवा पाठकों के हृदय में स्थान बनाती आई हैं। उनकी नवीन कथा-संग्रह पुस्तक 'शेर के मूंछ के बाल' इसी परंपरा को आगे बढ़ाती एक उत्कृष्ट कृति है, जिसमें 14 विविध, रोचक और सारगर्भित कहानियाँ समाहित हैं।

सबसे पहले इसके शीर्षक की बात करें तो 'शेर के मूंछ के बाल' अपने आप में अत्यंत कौतूहलभरा और खिलंदड़ आभा से युक्त नाम है। शेर जैसा बलशाली और बच्चों का प्रिय पात्र जब 'मूंछ के बाल' जैसी चुलबुली बात से जुड़ता है, तो पाठक अपने-आप मुस्कुराने लगते हैं। यह शीर्षक केवल आकर्षण का माध्यम नहीं, बल्कि प्रतीकात्मक भी है, यह दर्शाता है कि बड़े से बड़ा विषय भी सरलता और हास्य के माध्यम से बच्चों तक पहुँचाया जा सकता है। पुस्तक की मुख्य कहानी भी इसी नाम पर आधारित है, जिसमें हास्यरस और नैतिक संदेश का सुरम्य मिश्रण है। कहानी में शेर और जंगल के अन्य पात्रों की रोचक बातचीत के माध्यम से यह बताया गया है कि अपनी गलतियों को स्वीकारना और उन्हें सुधारने का प्रयास करना कितना महत्त्वपूर्ण है। यह कहानी बच्चों को मनोरंजन के साथ-साथ विनम्रता का मूल्य सिखाती है।

संग्रह की शुरुआत 'बच्चों की नेकी वाली दीवाली' से होती है, जो दिवाली जैसे हर्षोल्लासपूर्ण पर्व की पृष्ठभूमि पर आधारित है। किंतु यह सिर्फ उत्सव का वर्णन नहीं करती, बल्कि इस त्योहार के माध्यम से सामाजिक संवेदनशीलता, पर्यावरण प्रेम और दूसरों के प्रति सद्भाव का संदेश देती है। कहानी बच्चों को बताती है कि सच्ची खुशी पटाखों के शोर में नहीं, बल्कि दूसरों को मुस्कान देने के भाव में छिपी होती है। 'सुंदर वन का वीर बालक डंकी' पुस्तक की उन कहानियों में से है जो बच्चों में साहस, आत्मविश्वास और नैतिक दृढ़ता का संचार करती हैं। डंकी अपने साधारण से रूप-रंग के बावजूद असाधारण साहस प्रदर्शित करता है, और यह साबित करता है कि किसी भी बच्चे की वास्तविक पहचान उसके रूप में नहीं, बल्कि उसके साहस, नीयत और कर्म में होती है।

'लाल गमछा' और 'तोताराम को मिली सीख' जैसी कहानियाँ बच्चों को सूझबूझ, परिश्रम और समय की महत्ता का संदेश देती हैं। लाल गमछा जहाँ कठिन परिस्थितियों में सही निर्णय लेने की प्रेरणा देता है, वहीं तोताराम की कथा आलस्य के दुष्परिणाम और मेहनत के महत्त्व को सरल किन्तु प्रभावशाली ढंग से समझाती है। 'दरिया दिल लड्डू का छाता' एक अत्यंत हृदयस्पर्शी कहानी है, जो निस्वार्थता और उदारता जैसे मूल्यों को बड़े सहज ढंग से बच्चों तक पहुँचाती है। यह पढ़ते हुए मन अनायास ही पवित्रता और करुणा की भावनाओं से भर उठता है। इसी तरह 'गुल्लू का बर्थडे' बाँटकर खुशियाँ मनाने का सन्देश देती है। यह कहानी बच्चों को समझाती है कि उत्सव का अर्थ सिर्फ अपनी खुशी नहीं, बल्कि दूसरों को भी उस खुशी में शामिल करना है। 'साबू और शहद' मेहनत, ईमानदारी और सच्चाई के मूल्य को सीधे-सरल ढंग से प्रस्तुत करती है।

दोस्ती और सहयोग पर आधारित 'पक्की वाली दोस्ती' बच्चों के हृदय में मित्रता की पवित्रता का अहसास जगाती है। वहीं 'तोलू-मोलू और करेला' स्वास्थ्य, उचित आहार और शरीर के प्रति जिम्मेदारी की एक प्यारी सीख देती है। 'टूटी गुल्लक' ईमानदारी, सत्यनिष्ठा और सच्ची मित्रता के सार को बड़े मनोहर ढंग से उजागर करती है। यह कहानी इस बात का आभास कराती है कि सच्ची दोस्ती वही है, जिसमें कठिन समय में भी एक-दूसरे का हाथ थामा जाए।

'लोमड़ी की चांद ट्रिप टूरिस्ट एजेंसी' छल-कपट, लालच और धूर्तता के परिणामों को हास्य और रोमांच के साथ प्रस्तुत करती है। कहानी बच्चों को यह सिखाती है कि गलत रास्ते अपनाने वाले को अंतत: अपने कर्मों का फल अवश्य मिलता है। इसके ठीक विपरीत 'कौवे को गीत मीठे लगने लगे' में आत्मसम्मान, आत्मविश्वास और अपनी विशिष्टता को पहचानने का प्यारा संदेश मिलता है।संग्रह की अंतिम कहानी 'पिंकी का सपना' पुस्तक का उज्ज्वल और प्रेरणादायी समापन करती है। यह कहानी बच्चों को बड़े सपने देखने, मेहनत करने और धैर्य रखने की प्रेरणा देती है कि यदि नीयत पवित्र हो और प्रयत्न निरंतर हो, तो कोई भी सपना असंभव नहीं।

पूरे संग्रह की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि रेखा शाह आरबी ने अपनी सरल, स्वाभाविक, किन्तु अत्यंत प्रभावशाली भाषा के माध्यम से हर कहानी को बच्चों के मनोविज्ञान के अनुरूप ढाला है। उनकी शब्दावली सहज है, कथानक आकर्षक हैं, और संदेश इतने सरल कि बच्चे अनायास उनसे सीख ग्रहण कर लेते हैं। लेखिका की कल्पनाशीलता, पात्रों की चंचलता, और घटनाओं की सहज गति इस पुस्तक को न केवल मनोरंजक बनाती है, बल्कि इसे जीवन-मूल्यों का एक उज्ज्वल स्रोत भी बना देती है।

'शेर के मूंछ के बाल' केवल कहानी-संग्रह नहीं, एक भावनात्मक धरोहर है- एक ऐसा उपहार, जो बच्चों के हृदय में सद्गुणों के बीज बोने का कार्य करता है। यह पुस्तक बच्चों को हँसी, रोमांच, भावनाओं और नैतिकताओं से भरी एक ऐसी यात्रा पर ले जाती है, जो उनके व्यक्तित्व को सकारात्मक दिशा देने की क्षमता रखती है। नि:संदेह, यह कृति अभिभावकों, शिक्षकों और बाल-पाठकों, सभी के लिए समान रूप से उपयोगी और प्रेरणादायी है।

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