ऐशट्रे की याद में
परसों वह ऐशट्रे टूट गया जो मुझे बरसों से बहुत प्रिय था। ऐशट्रे क्या टूटा मेरा दिल टूट गया , बरसों पर परसों भारी पड़ा;
- मूल रचना-मुजतबा हुसैन
- अनुवाद-अखतर अली
ऐशट्रे में महंगी सिगरेटों के बीच रमेश की बीड़ी भी बहुत सहजता से रह लेती थी । सिगरेट के बीच न तो बीड़ी ज़रा भी शर्माती थी और न ही सिगरेट की शान घटती थी । मेरे लिये ऐशट्रे का यह दृश्य दर्शनीय होता था । मैं दुनिया के अंदर ऐशट्रे के अंदर वाला माहौल देखना चाहता हूं ।
परसों वह ऐशट्रे टूट गया जो मुझे बरसों से बहुत प्रिय था। ऐशट्रे क्या टूटा मेरा दिल टूट गया , बरसों पर परसों भारी पड़ा । जो बरसों नहीं हुआ वह परसों हुआ । ऐशट्रे मुझे इस हद तक पसंद था कि मैं जैसे ही सिगरेट जलाता $फौरन उसे ऐशट्रे की नली पर रख देता और उसे धीमे धीमे जलता देखते रहता । जलने और जलाने का जो मज़ा धीमे धीमे में है वह भक से जल जाने में कहां? वह सिगरेट जैसे ही खत्म होती मैं एक और सिगरेट जलाता और उसे ऐशट्रे की नली पर रख देता । दोस्त तो अब यह भी कहने लगे है कि मुझे सिगरेट की नहीं ऐशट्रे की लत लग गई है । मेरे को भी लगने लगा है कि दोस्त सही कहते हैं क्योकि जब भी मैं घर के बाहर कहीं सिगरेट जलाता हूं तो $फौरन मुझे ऐशट्रे की याद आ जाती है और मैं भाग कर घर में ऐशट्रे के पास पहुचता हूं । रिश्तेदारों ने मशविरा दिया है कि मैं किसी अच्छे मनो चिकित्सक से अपना चेकअप करवाउ । रिश्तेदार भी न हमेशा हैसियत से महंगे मशविरे देते हैं ।
सिगरेट की आग के अलावा मैं अपने सीने की आग भी इसी ऐशट्रे में बुझाने लगा था । जब यह ऐशट्रे चला गया तो मुझे यूं लगने लगा जैसे वह अपने साथ मेरी बरसों की सामाजिक , साहित्यिक और सांस्कृतिक जीवन की यादें भी ले गया । इसी ऐशट्रे के इर्द गिर्द बैठकर मेरे दोस्तों ने देश और दुनिया की बड़ी बड़ी समस्याओं को हल किया था। कितने ही साहित्यकारों को साहित्य में ऊंचा स्थान मिलने का गवाह वह ऐशट्रे था जो परसों टूट गया। बड़ी-बड़ी समस्याओं पर चिंतन व्यक्त करते हुए मेरे कवि , शायर और नाटककार मित्र इस ऐशट्रे को सिगरेट से भर देते थे। जैसे-जैसे उनका दिमा$ग खाली होता जाता था ऐशट्रे भरता जाता था । जब ऐशट्रे पूरा भरा जाता तब मैं उसमें जमा हुए सिगरेट के टुकड़ों और विचारों को बाहर नाली में फेक आता और हम लोग उसे फिर से भरने की कोशिश में लग जाते । इस भरने और खाली करने के दौरान मैंने बहुत बार महसूस किया हूं कि यहां ऐसे बहुत से मसले है जिनका बोझ सि$र्फ ऐशट्रे ही उठा सकता है । जब दोस्त ऐशट्रे को अधजले सिगरेट और पूरी तरह जल चुके शब्दों की राख से भरकर चले जाते तो मैं ऐशट्रे में झांक कर देखा करता था कि आज हमने कितनी बहस की है। अभी और कितनी बहस करने की संभावना बची थी ।
कभी जब मेरे दोस्त जल्दी जाने की बात करते तो मैं उन्हें यह कह कर रोकता कि अभी तो ऐशट्रे आधा ही भरा है , एक बैठक में कम से कम एक ऐशट्रे भर कर बहस तो होनी ही चाहिए वरना बहस का क्या मतलब । वह ऐशट्रे बहस का पैमाना था जो परसों टूट गया । हम सब बहस के बीच में एक बार ऐशट्रे में झांक कर देख लिया करते थे कि अभी कितना बोला जा चुका है और कितना बोला जा सकता है ।
जब रात को सभी दोस्त विदा हो जाते तब मैं ऐशट्रे में झांकता तो वह बहुत गहरा नज़र आता उसमें जो राख है वह आग का अहसास कराती । मैं उसमें रखी एक-एक सिगरेट का मुआयना करता यह सुरेन्द्र का सिगरेट है , यह कैलाश का सिगरेट है , यह मोईन का सिगरेट है और यह प्रो$फेसर भट्टाचार्य का । सिगरेट को देख पूरी बहस आंखो में घूमने लगती मैं एक एक सिगरेट के टुकड़े को अलग अलग रखता और उन टुकड़ों में से जिनमें से थोड़ी देर पहले धुंआ निकल रहा था दृश्य निकलने लगता ।
यह तो प्रो$फेसर भट्टाचार्य का सिगरेट है इसे उन्होंने उस समय बुझाया था जब उनके अस्तित्व के मसले पर हम लोगों ने असहमति जताई थी। दुनिया में भूख और असहमति किसी को बर्दाश्त नहीं होती है, यहां भी प्रो$फेसर साहब आपे से बाहर हो गए थे और जब कुछ न बन पड़ा तो उन्होंने गुस्से में सिगरेट को मसल कर ऐशट्रे में डाल दिया। बुझा हुआ सिगरेट जलते हुए भट्टाचार्य की सहनशक्ति का अच्छा उदाहरण है । स्मोकर की सीमा जहां खत्म होती है वहां से ऐशट्रे की हद आरंभ होती है । मैं बहुत देर तक प्रो$फेसर साहब के अधजले सिगरेट को देख कर मुस्कराता रहा था मेरे को यह महसूस हुआ कि प्रो$फेसर साहब मेरे ड्राईंग रूम से गये नहीं है बल्कि ऐशट्रे में छुप कर बैठ गए है और अपना अस्तित्व टटोल रहे है ।
ऐशट्रे में महंगी सिगरेटों के बीच रमेश की बीड़ी भी बहुत सहजता से रह लेती थी । सिगरेट के बीच न तो बीड़ी ज़रा भी शर्माती थी और न ही सिगरेट की शान घटती थी । मेरे लिये ऐशट्रे का यह दृश्य दर्शनीय होता था । मैं दुनिया के अंदर ऐशट्रे के अंदर वाला माहौल देखना चाहता हूं ।
रोज़ाना रात को जब बहसें खत्म हो जाती है और शब्दों के योद्धा बंकर से निकल कर अपने अपने घरों में लौट जाते है तब कमरे में हम दो ही रह जाते है मैं और वह ऐशट्रे जो परसों टूट गया । मेरे ग्रुप में ऐशट्रे ही बस ऐसा सदस्य है जो सिगरेट नहीं पीता है । यकबयक मुझे ऐसा महसूस होता कि ऐशट्रे मेरे से विनती कर रहा है कि मुझे इन साहित्य, कला, दर्शन, इतिहास की बहस वाली सिगरेटों से मुक्त करो और कचरा बहस से इकठ्ठा हुए कचरे को बाहर नाली में फेक दो। मैं रोज़ ऐशट्रे को धो पोछ कर सा$फ करता हूं जिसे दुनिया जहां की बहसें गंदा कर देती है।