अंतरिक्ष में भारत का एक और मील का पत्थर, विक्रम-एस

शुक्रवार को भारत के सतीश धवन केंद्र से विक्रम-एस नाम का एक रॉकेट पृथ्वी की कक्षा की ओर छोड़ा जाएगा. हर छोटे-बड़े दर्जनों रॉकेट लॉन्च करने वाले भारत के लिए विक्रम-एस का प्रक्षेपण एक नया मील का पत्थर होगा;

Update: 2022-11-17 21:47 GMT

प्रारंभ अभियान सिर्फ तकनीक का प्रदर्शन करने के लिए है जो दिखाएगा कि भारत के निजी क्षेत्र में इसरो के कंधों को हल्का करने की कितनी क्षमता है.

स्काईरूट ने एक ट्वीट में कहा, "श्रीहरिकोटा के रॉकेट इंटिग्रेशन केंद्र में विक्रम-एस की एक झलक. यह ऐतिहासिक दिन के लिए तैयार हो रहा है.”

भारत का इसरो दुनिया की छठी सबसे बड़ी अंतरिक्ष एजेंसी है. उपग्रह प्रक्षेपण के क्षेत्र में उसे विशेष दर्जा हासिल है. उसने 34 देशों के लगभग 350 उपग्रहों को अंतरिक्ष में पहुंचाया है. लेकिन दो साल पहले भारत सरकार ने इस क्षेत्र को निजी कंपनियो के लिए खोलने का ऐलान किया गया.

मील का पत्थरः पहला निजी अभियान दल स्पेस स्टेशन पहुंचा

इसके लिए इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर (IN-SPACe) की स्थापना की गई जिसका मकसद भारत में निजी कंपनियों को बराबर के मौके उपलब्ध कराना है. यही एजेंसी इसरो और निजी क्षेत्र के बीच संपर्क सूत्र का भी काम करती है. इसके अलावा न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड और इंडियन स्पेस एसोसिएशन नाम के दो संगठन भी बनाए गए हैं जो अंतरिक्ष अनुसंधान को बढावा देने के लिए काम करेंगे.

बाजार का विस्तार

निजी क्षेत्र के आने से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान में विदेशी निवेश के रास्ते खुले हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई निजी कंपनियों ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में बड़ी कामयाबियां हासिल की हैं. इनमें बोइंग, स्पेसएक्स, सिएरा नेवादा और ब्लू ऑरिजिन जैसी कंपनियां शामिल हैं जो अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के साथ सहयोग से कई शोध और अनुसंधान कार्यों में लगी हैं.

एमरजेन रिसर्च के एक अध्ययन के मुताबिक 2028 तक अंतरिक्ष अनुसंधान का बाजार 630 अरब डॉलर को पार कर जाएगा. इस बाजार में अपनी हिस्सेदारी सुनिश्चित करन के मकसद से बड़ी तादाद में निजी कंपनियां इस क्षेत्र में निवेश कर रही हैं. इनमें एमेजॉन और स्पेस एक्स जैसी कंपनियों की तो चांद और मंगल पर बेस बनाने जैसी महत्वाकांक्षी योजनाएं भी शामिल हैं. इसके अलावा अंतरिक्ष पर्यटन का क्षेत्र भी तेजी से विकास कर रहा है. विक्रम-एस के लॉन्च के साथ भारत का निजी क्षेत्र भी इस बाजार में अपनी दावेदारी की शुरुआत कर देगा.

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