रमन सिंह राज्य की जनता के बाद अब राज्यपाल को गुमराह करने कर रहे कोशिश : कांग्रेस

रमन सिंह सरकार में नक्सलियों के मददगार रहे भाजपा नेता पदाधिकारी के पकड़े जाने से साबित हो चुका है कि  बस्तर की दुर्दशा के गुनाहगार पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ही हैं;

Update: 2020-10-07 07:39 GMT

 रायपुर।  रमन सिंह सरकार में नक्सलियों के मददगार रहे भाजपा नेता पदाधिकारी के पकड़े जाने से साबित हो चुका है कि  बस्तर की दुर्दशा के गुनाहगार पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ही हैं।  प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता घनश्याम राजू तिवारी ने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के राज्यपाल को लिखे गए पत्र पर झूठे तथ्य, गुमराह करने की बात कहते हुए पलटवार किया है कि, बस्तर में 15 साल में निर्मित परिस्थितियों के लिये रमन सिंह ही जिम्मेदार है। 

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा आंकड़े बताते हैं कि, रमन सिंह  के 15 साल अपनी गलत नीतियों के कारण छत्तीसगढ़ में माओवाद को खाद पानी देने और फलने-फूलने के लिये जिम्मेदार रहे। अचानक रमन सिंह जागकर राज्यपाल को पत्र लिखते है जो कि भूपेश सरकार पर लगाए गए आरोप तथ्य विहीन बेबुनियाद है।रमन सिंह के 15 साल के शासन काल में दक्षिण बस्तर 3 ब्लाक तक सीमित माओवाद ने बढ़ते-बढ़ते प्रदेश के 14 जिलों को अपने गिरफ्त में ले लिया। झीरम, पेद्दागेल्लूर, सारकेगुड़ा, चिंतागुफा और ताड़मेटला जैसी घटनायें हुयी।

रमन सिंह सरकार में 15 वर्ष में (औसत 73 से अधिक प्रतिवर्ष) 1099 सुरक्षा बलों के जवान-अधिकारी शहीद हुये और 1442 नागरिक (औसत 96 से अधिक प्रतिवर्ष) मारे गये। जबकि कांग्रेस की सरकार में 2019 में 21 और 2020 में 32 सुरक्षा बलों के जवान-अधिकारी कुल 53 (औसत 27 से भी कम प्रतिवर्ष) और 2019 में 46 और 2020 में 39 कुल 85 नागरिक (औसत 43 से भी कम प्रतिवर्ष)। रमन सिंह द्वारा झूठे आंकड़ों और दावों के साथ पेश करना कोरा गुमराह करने वाले तथ्य है।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता घनश्याम राजू तिवारी ने कहा है कि रमन सिंह जी जैसे कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहराने के लिये चिठ्ठी लिखने वाले नेता अपने गिरेबान में झांक कर देखें। रमन सिंह जिम्मेदार है छत्तीसगढ़ में माओवाद विस्तार के लिए। छत्तीसगढ़ में माओवाद के बढऩे के लिये भाजपा सरकार की गलत नीतियां और भाजपा के नेताओं की माओवादियो से मिलीभगत जिम्मेदार रही है। कांग्रेस ने तो अपनी पूरी पीढ़ी को गंवाया है ,जमाओवादियों के हाथों। रमन सिंह को ये पत्र लिखने के पहले अपने गिरेबान में झांककर देखना चाहिये। सारकेगुड़ा की जो रिपोर्ट सामने आई थी उससे छत्तीसगढ़ का हर संवेदनशील नागरिक शर्मिंदगी महसूस कर रहा है लेकिन भाजपा के माथे पर शिकन तक नहीं आई। यह घटना उनके कार्यकाल की है और आयोग का गठन भी उन्हीं की सरकार ने किया था।
 

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