रेरा में गलत जानकारी देने वाले बिल्डर पर होगी कार्यवाही : सिंघल
जिन बिल्डरों ने रेरा के तहत गलत जानकारी दी है और प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए लंबा समय लिया है, उनकी जांच की जा रही है;
नोएडा। जिन बिल्डरों ने रेरा के तहत गलत जानकारी दी है और प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए लंबा समय लिया है, उनकी जांच की जा रही है। बतौर इसके लिए एक समिति लखनऊ में बनाई गई है। बिल्डरों की जांच के बाद दोषी पाए जाने पर उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी। यह जानकारी मंगलवार को सेक्टर-6 स्थित इंदिरा गांधी कला केंद्र में आयोजित बैठक में रेरा के प्रमुख सचिव आवास मुकुल सिंघल ने दी। यहां के्रडाई प्राधिकरण के साथ रेरा को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई।
बैठक में रेरा और यूपी में शौचालय बनाने पर चर्चा की गई। इस मौके पर बिल्डर्स ने रेरा में एग्रीमेंट टू सेल बनाने समेत कुछ बिंदुओं पर सुझाव दिए। जिनको अब शासन के समक्ष रखा जाएगा। इसके अलावा बिल्डरों को केंद्र सरकार की योजना खुले में शौच मुक्त बनाने की मुहिम से जुड़ने के लिए भी कहा गया। बिल्डरों ने इस पर सहमति जाहिर की। बताते चले कि प्रदेश के जिलों में लाखों की संख्या में शौचालय बने हुए है। इसमे एक शौचालय की कीमत करीब 12 हजार रुपए है। ऐसे में बिल्डरों को इस मुहिम से जुड़ने के लिए कहा गया।
इस मौके पर मुकुल सिंघल ने बताया कि रेरा में जल्द ही संसोधन किया जाएगा। इसके लिए बनाई गई टीम अपना कार्य कर रही है। अभी तक रेरा में करीब 900 शिकायत आई हैं।
जिसमें सर्वाधिक शिकायत गौतमबुद्ध नगर से करीब 600 है। इन शिकायतों का निस्तारण के प्रयास किए जा रहे है। रेरा में सुनवाई के लिए एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेशन प्रोसिजर) बना दिया गया है। इसके तहत निर्धारित कार्यवाही कैसे हो वह तय कि गई है। उन्होंने बताया कि यूपी में रेरा को पेपर लैस बनाने की कोशिश की गई है। जो कि किसी और राज्य में नहीं है। वहीं अभी तक यूपी रेरा की वेबसाइट को करीब 12.5 करोड़ लोग देख चुके है।
रेरा के तहत अभी तक करीब 500 लोगों पर जुर्माना लगाया गया है। आम्रपाली बिल्डर के संबंध में बात करते हुए सिंघल ने बताया कि आम्रपाली ग्रुप की फाइनेंशियस जांच करने के लिए अधिकारी के तौर पर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ को नियुक्त किया गया है। वहीं के्रडाई के अमित मोदी ने बताया कि हम लोगों ने आज की बैठक में रेरा में कुछ बदलाव करने की मांग की है। यहां हमने सुझाव दिए कि रेरा में जो भी क्लॉज छूट गए हैं उन्हें यूपी अपार्टमेंट एक्ट से लेकर शामिल किया जाए।
खरीदार ने कहा, हमें नहीं राहत
बैठक में मौजूद खरीदारों ने बताया कि यहां रेरा में एग्रीमेंट टू सेल बनाने पर चर्चा की गई। इससे आगे यदि कोई फ्लैट खरीदता है तो उसको ही राहत मिलेगी। लेकिन अभी जो लाखों मौजूदा खरीदार हैं उनका इससे कोई फायदा नहीं होगा।
नेफोमा ने सुनाई खरीदार की समस्या
बैठक में के्रडाई प्राधिकरण के साथ खरीदार एसोसिएशन भी मौजूद रही। इस दौरान नेफोमा के अध्यक्ष भी मौजूद रहे। जिन्होंने खरीदार से संबंधित समस्याओं का एक ज्ञापन भी मुकुल सिंघल को सौंपा। उन्होंने बताया कि रेरा के अंतर्गत प्राधिकरण बिल्डरों को एफएआर देने पर विचार कर रहे है।
शहर की हालत अब नही है कि वो हजारों लोगों का बोझ सह पाएए एफएआर देने बड़ी जटिल समस्या उत्पन्न हो जाएगी, अभी भी सड़कों पर जाम की स्थिति रहती है, पार्किंग एक बड़ा मुद्दा है शहर के लिए। रेरा में शिकायत करने के लिए हजार रुपए खरीदार को देने पड़ते है उसके बाद तारीख पड़ने पर उसको लखनऊ जाना पड़ता है कभी ट्रेन का टिकट मिलता है कभी नहीं ऐसे में बस से जाते है तो किराए में पैसा अधिक लगता है एक तारीख करने के लिए कम से कम पांच हजार खर्च हो जाता है टाइम अलग, नेफोमा की मांग है रेरा की शिकायतों का समाधान जिला गौतमबुद्ध नगर में ही किया जाए।
बिल्डर रेरा को अपने मुताबिक गलत इस्तेमाल कर रहे है जिस खरीदार को बिल्डर पोजेशन देने के लिए 2016 में प्रतिबद्ध था, रेरा लागू होने के बाद बिल्डरो ने उन प्रोजेक्टो की तिथियों में अपने अनुसार बदलाव कर क्रमश 2017, से 2024 तक लेकर गए है एक ही प्रोजेक्ट को फेस वाइज दिखकार 10 प्रोजेक्ट बनाकर काम कर रहे है उन खरीदार की क्या गलती है जो 8 साल से घर के इंतजार में है।