छोटे-छोटे सूत्रों से जीवन-समझ बढ़ाने वाली किताब:- 'आप जैसा कोई नहीं'

पिछले कुछ सालों से लेखकों व पाठकों का झुकाव कथेतर विधा की तरफ ज्यादा बढ़ा है;

Update: 2023-05-07 05:11 GMT

- माधव राठौड़

पिछले कुछ सालों से लेखकों व पाठकों का झुकाव कथेतर विधा की तरफ ज्यादा बढ़ा है। यह कोई अचानक आया बदलाव नहीं है। जिन लेखकों को कथा लिखने में रस आता था, उन्हें अब कथेतर रास आने लगा है। हमारे समय के महत्वपूर्ण लेखक असगर वजाहत लिखते हैं कि इस समय हर बड़ा लेखक यह चाहता है कि उसकी कथा कथेतर बन जाए। इतनी सच्ची कि लोग इसे गल्प की जगह सच मानें। इस बदलाव को सूक्ष्मता से देखेंगे तो पायेंगे कि हिन्दी में कथेतर के साथ साथ 'सेल्फ हेल्प' की तरफ भी पाठक बढ़ रहा है। जो सेल्फ हेल्प की किताबें अंग्रेजी से अनूदित होकर आती थी वे अब शुद्ध रूप से हिंदी में लिखी जा रही हैं।

इस साल की शुरुआत में राहुल हेमराज की किताब 'आप जैसा कोई नहीं' राजकमल प्रकाशन आई है जो पाठकों के बीच चर्चा में भी है। इस किताब में इक्कीस मूल्यवान लेख हैं जिन्हें पढ़ते हुए अच्छे से समझा जा सकता है कि इस समय की भागती हुई जीवन शैली व अति भौतिकतावादी प्रतिस्पर्धा की वजह हमारे आसपास जो तनाव बढ़ा है, उसको ठहरकर देखने की जरूरत है कि हम सब क्यों व किसलिए भागे जा रहे हैं?

रहस्यदर्शी गुरु डॉन जुआन के जरिए वे कहते हैं कि सारे रास्ते एक से हैं वे कहीं नहीं जाते। यदि जिस रास्ते पर चलते हुए आपका दिल लगता है तो रास्ता सही है। यदि नहीं लगता है तो समझो वह किसी काम का नहीं। हालांकि दोनों रास्ते कहीं नहीं जाते लेकिन एक पर दिल है दूसरे पर नहीं। एक यात्रा को आनंदमय बनाता है और दूसरा आपको कमजोर।

राहुल हेमराज इन लेखों के जरिए भगवत गीता, उपनिषद, आचार्य रजनीश, लाओत्से, लियानार्डो दी विंची,राधाकृष्णन, विवेकानंद आदि के जरिए भारतीय और पश्चिम दोनों की जीवन व अध्यात्म की समझ के छोटे लेकिन गहरे सूत्र लाते हैं। इन अर्थपूर्ण सूत्रों को आधुनिक जीवन के साथ जोड़ते हुए वे जीवन को बेहद सरल, सहज और आनंदमय बनाने का खाका खींचते हैं ।

सेल्फ हेल्प की अधिकांश किताबें पश्चिम के लेखकों की होती हैं जिसमें वहाँ के परिवेश, परिस्थिति व उदाहरण होते हैं इसलिए पाठक उनसे सहज रिलेट नहीं कर पाता। लेकिन इस किताब की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह किताब हमारे बीच में रहते हुए, हमारी समस्याओं से अच्छी तरीके से वाकिफ व्यक्ति द्वारा लिखी गई है। और इसलिए इस किताब को पढ़ते हुए आप अपने आपके नजदीक पाते हो।

लेखक - राहुल हेमराज
प्रकाशक - राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली
मूल्य -199 रुपये

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