एनटीपीसी सीपत में 800 मेगावाट की एडवांस यूनिट का काम शुरू

एनटीपीसी सीपत द्वारा भू-विस्थापितों के मामले को निर्धारित प्रक्रिया का पालन करते हुये समाधान किया जा रहा है;

Update: 2018-03-30 10:56 GMT

बिलासपुर। एनटीपीसी सीपत द्वारा भू-विस्थापितों के मामले को निर्धारित प्रक्रिया का पालन करते हुये समाधान किया जा रहा है। वर्तमान में ऐसे तकरीबन 50 मामले ही शेष है जिनका निराकरण किया जाना है। जिसके लिए हरसंभव प्रयास किया जा रहा है। 

एनटीपीसी सीपत में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान महाप्रबंधक ए.के. सामंता ने कही। सामंता ने बताया कि एनटीपीसी सीपत में में 2980 मेगावाट क्षमता की परियोजना है। जिसके माध्यम से कई राज्यों में बिजली दी जा रही है। इस कड़ी में जल्द ही आगामी 5 वर्ष में एक नया प्रोजेक्ट सीपत में शुरु किया जायेगा। वर्तमान में एनटीपीसी परियोजना सबसे आधुनिक तकनीक पर आधारित जिसे पूरे देश में इको फै्रंडली के रुप में जाना जाता है।

प्रथम चरण में  छत्तीसगढ़ का सर्ववृहत विद्युत परियोजना एनटीपीसी सीपत 2980 मेगावाट स्थापित क्षमता के साथ मध्य एवं पश्चिम भारत के राज्यों को आलोकित कर रहा है। सीपत परियोजना का शिलान्यास भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री  अटल बिहारी बाजपेयी द्वारा दिनांक 20 जनवरी 2002 को किया गया था एवं लोकार्पण 19 सितंबर 2013 को तत्कालीन प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह द्वारा किया गया।

अनुमोदित क्षमता- प्रथम चरण 660 मेगावाट की तीन सुपर क्रिटिकल तकनीक पर आधारित इकाईयां (660 गुणित 3) कुल 1980 मेगावाट प्रचालन में, द्वितीय चरण- 500 मेगावाट क्षमता की 2 इकाईया (500 गुणित 2) प्रचालन में, कुल मिलाकर 2980 मेगावाट बिजली उत्पादन हो रहा है।

परियोजना की प्रमुख विशेषता एनटीपीसी की सर्वप्रथ्म 680 मेगावाट क्षमता की इकाईयों एवं सुपर क्रिटिकल टेक्रालाजी पर आधारित बायलर देश के सर्वप्रथम 765 के.व्ही ट्रांसमिशन नेटवर्क से संबंधित है। वही बिजली उत्पादन के लिये कोयला की आवश्यता प्रथम चरण में 10 मिलियन मेट्रिक टन प्रति वर्ष  द्वितीय चरण में 504 मिलियन मेट्रिक टन प्रति वर्ष आश्यकता पड़ती है।
 

जिसको एनटीपीसी दीपका एक्सटेंशन माइंस, एसईसीएल, कोरबा से प्राप्त करती है।इसके अलावा जल की आवश्यकता प्रथम चरण में 80 मिलियन क्यूबिक मीटर प्रति वर्ष द्वितीय चरण 40 मिलियन क्यूबिक मीटर प्रति वर्ष है इसके लिये हसदेव दांयी तट नहर, ग्राम हरदी विशाल से 26 कि.मी.  लंबी भूमिगत पाइप लाइन द्वारा प्राप्त किया जा रहा है।

प्रथम चरण 660 मेगावाट की तीनों इकाइयों से क्रमश: दिनांक 1 अक्टूबर 2011, 25 मई 2012 एवं 1 अगस्त 2012 से व्यावसायिक उत्पादन जारी, द्वितीय चरण की दोनों 500 मेगावाट की इकाईयां क्रमश  20 जून 2008 एवं 1 जनवरी 2009  से व्यावसायिक उत्पादन जारी, देश में सर्वप्रथम 765 के.व्ही. स्वीच वार्ड की स्थापना की गई।

टीम एनटीपीसी ने राष्ट्र सेवा में 43 वर्ष का उत्कृष्ट योगदान दिया है।52991 मेगावाट क्षमता के साथ एनटीपीसी भारत के विकास को गति प्रदान करते हुये विश्व की सबसे बड़ी एवं सर्वश्रेष्ठ विद्युत कंपनियों में से एक के रुप में उभर कर सामने आया है।  वहीं सीआइ्र्रआई द्वारा आयोजित  16वां ऊर्जा दक्षता सम्मेलन में एनटीपीसी सीपत को सबसे किफायती ऊर्जा ईकाई के लिये पुरस्कृत किया गया।

साथ ही वर्ष 2016-17 में एनटीपीसी के सभी कोयला स्टेशन में सबसे किफायती कोयला स्टेशन का पुरस्कार प्राप्त हुआ है। देश का द्वितीय सर्वश्रेष्ठ विद्युत स्टेशन का दर्जा प्राप्त हुआ था। इस सवाल के जवाब में श्री सामंता ने कहा कि पिछले आठ सालों का डाटा चेक किया गया जिसमें सीपत का तापमान नहीं बढ़ा है। ऐसे में पूरा विश्वास है कि बिलासपुर के तापमान  बढ़ने में एनटीपीसी संयंत्र कहीं भी नहीं है।

एक सिरे से तापमान बढ़ने के लिये एनटीपीसी को वजह मानना खारिज कर दिया। बिलासपुर का तापमान एनटीपीसी संयंत्र के कारण नहीं बढ़ा है। इसके लिये प्रबंधन पिछले दस सालों का डाटा चेक करकर स्थिति स्पष्ट करेगा।

किसानों के मामले में पानी लेने के संबंध में बताया कि बिजली उत्पादन के लिये हवा, पानी की आवश्यकता होती। पानी के बदले एनटीपीसी बिजली के रुप में उन्होंने वापस कर देती है। इसके अलावा सीवरेज पानी के संबंध में कहा कि इस पर निगम से प्रस्ताव आया है। यदि इस पर निर्णय हुआ तो इस पानी का दो अलग-अलग बार ट्रीटमेंट होने के बाद उपयोग किया जायेगा।

इसके अलावा सीएसआर मद का प्रयोग के संबंध में पूछे गये सवाल पर बताया कि प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य, शिक्षा में प्रयोग किया जाता है इसके अलावा विशेष तौर पर अचानकमार के बैगा जातियों के लिये भी इस राशि का उपयोग किया जा रहा है।

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