नंदगांव में 5 किलो गाय के घी से जलाया जाता है दीपक
देश के कोने-कोने में दीपावली मनाने की लगभग एक सी परम्परा है, लेकिन तीन लोक से न्यारी मथुरा नगरी में मंदिरों में दीपावली का त्योहार अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है।;
मथुरा। देश के कोने-कोने में दीपावली मनाने की लगभग एक सी परम्परा है, लेकिन तीन लोक से न्यारी मथुरा नगरी में मंदिरों में दीपावली का त्योहार अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है।
दीपावली पर कहीं ठाकुर जी चैसर खेलते हैं, कहीं सकड़ी और निकरा का भोग अरोगते हैं, कहीं 36 व्यंजन अरोगते हैं। नन्दगांव में “नन्द जू के आंगन में निराली दिवारी है” को चरितार्थ करने के लिए पहले नन्दबाबा मंदिर के शिखर पर अनूठा दीपक जलाया जाता है।
यहां पांच किलो गाय के घी से दीपक जलाया जाता है।
नन्दबाबा मंदिर के सेवायत आचार्य लोकेश गोस्वामी ने बताया कि इसके लिए एक ऐसा दीपक बनाया जाता है जिसमें पांच किलो शुद्ध गाय का घी आ सके। इसमें बिनौला आदि डालकर विशेष रूप से तैयार करते हैं। इसे 200 फीट ऊंचे मंदिर के शिखर पर जलाया जाता है।
इस दीपक के सम्बन्ध में मंदिर के एक अन्य सेवायत सुशील गोस्वामी ने बताया कि उनके बड़े बुजुर्ग बताते हैं कि बहुत पहले मंदिर के शिखर पर इतना बड़ा दीपक जलाया जाता था कि उसकी लौ को भरतपुर में देखकर वहां के राजघराने में दीपावली मनाई जाती थी।
इसी परम्परा का आज भी नन्दगांव में निर्वहन किया जाता है।
मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान में तो छोटी दीपावली से ही मंदिरों में न केवल दीपावली की धूम मच जाती है बल्कि जन्मस्थान स्थित मंदिरों में दीपावली का पर्व सामूहिक दीपावली के रूप में मनाया जाता है।