आउटसोर्सिंग के विरोध में 3 को जबर गोहार

छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना रमन सरकार की वर्तमान आउटसोर्सिंग की काली नीति को छत्तीसगढ़ में बाहरी लोगों की आबादी को बढ़ाने की साजिश मानती है;

Update: 2017-05-28 14:14 GMT

रायपुर। छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना रमन सरकार की वर्तमान आउटसोर्सिंग की काली नीति को छत्तीसगढ़ में बाहरी लोगों की आबादी को बढ़ाने की साजिश मानती है। मौजूदा सरकार अन्य प्रांत से आकर छत्तीसगढ़ में बसे लोगो को अपना वोटबैंक मान कर उन्हे लगातार बढ़ाना चाहती है।

शिक्षा, व्यापार, खेती, नौकरी, मठ-मंदिर हर क्षेत्र में सरकार बाहरीवाद को प्रोत्साहित कर रही है। पहले से ही सीमित संसाधनों वाले प्रदेश छत्तीसगढ़ में अन्य प्रांत के लोगों के लगातार बढ़ते जा रहे कब्जों को देखकर ऐसा लग रहा है कि कुछ ही वर्षों में यहां के मूल निवासियों को जंगलों में खदेड़ दिया जाएगा जहां हम घास-पत्ते खा कर जिंदा रह पाएंगे। भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में ऐसे प्रयोग किये जा चुके हैं।

वर्तमान में शिक्षा विभाग में आउटसोर्सिंग से हो रही भर्तियों का छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना कड़ा विरोध करती है। शिक्षा व्यवस्था किसी भी प्रदेश के जीवन की रीढ़ मानी जाती है। विगत पंद्रह सोलह वर्षों में शिक्षा व्यवस्था को जानबूझ कर लचर बना दिया गया है ताकि इस प्रदेश की युवा पीढ़ी में अपने अधिकारों के प्रति सोचने समझने की शक्ति समाप्त हो जाए।

यह दिन के उजाले में बोला गया सफेद झूठ है कि यहां के युवाओं में शिक्षक बनने लायक योग्यता नहीं है। सरकार को यह बताना होगा कि हजारों सरकारी और निजी महाविद्यालयों से स्नातक होकर निकलले बच्चे आखिर कहां लापता हो गये?

उच्च शिक्षित छत्तीसगढिया बच्चों को नालायक ठहरा कर यह सरकार छत्तीसगढ़ महतारी को अपमानित कर रही है। यदि यूपी-बिहार के लोगों को ही छत्तीसगढ में नौकरी देना है तो छत्तीसगढ़ के रोजगार कार्यालयों को प्रतापगढ़ और पटना में क्यों नहीं खोल दिये जाते?

नियमित शिक्षाकर्मियों की तुलना में प्लेसमेन्ट एजेंसी द्वारा नियुक्त बाहरी शिक्षकों का बजट तीन गुना अधिक क्यों रखा गया है? यह किसे लाभ पहुंचाने की साजिशें हो रहीं हैं? डॉ. रमण सिंह और उनके नाकारा मंत्री पिछले पंद्रह वर्षों से सत्ता में बैठे हैं, यदि पंद्रह वर्ष के लगातार लंबे शासन में स्कूलों में पढ़ाने लायक शिक्षकों का निर्माण नहीं कर पाये तो इसे सरकार का ही अकर्मण्यता माना जाएगा। जो सियान घर को ही नहीं संभाल पाये उससे घर की चाबी छीन लेनी चाहिये। 

बिलासपुर में गुरू घासीदास विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर उत्तर भारतीय प्रोफेसर सदानंद शाही को बिठाने की साजिश चल रही है। ये महाशय कुलपति पद के लिये कम से कम दस वर्ष की प्रोफेसरशिप की अति आवश्यक अर्हता को भी पूरी नहीं करते। यह यूजीसी के नियमों की घोर अवहेलना है। इस पद के लिये छत्तीसगढ़ के सैकड़ों अनुभवी शिक्षाविदों को दरकिनार करके बाहर के लोगों को हम पर लादने की आतुरता किसी गहरे साजिश की आशंका को जन्म देती है। 

जीवन के हर क्षेत्र में हो रहे भयानक आउटसोर्सिंग से त्रस्त छत्तीसगढ़ की जनता और छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना अपने जिंदा रह पाने के अधिकार के लिये, छत्तीसगढ़ में बाहरीवाद के खिलाफ उग्र आवाज उठायेगी और छत्तीसगढ़ियों को बरबाद करने वाली इन नीतियों के खिलाफ अंतिम सांस तक लड़ेगी। आने वाले 3 जून 2017 को सेना द्वारा रायपुर में जबर गोहार के नाम से धरना आंदोलन करके आउटसोर्सिंग का विरोध किया जायेगा जिसमे हजारो कि संख्या में पुरे प्रदेष भर के क्रान्ति सैनिक उपस्थित रहेंगे।

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