ड्रिप लगाते ही 15 मरीजों की हालत बिगड़ी

जिला चिकित्सालय के आईसोलेशन वार्ड में भर्ती डायरिया के मरीजों को सिप्रोफ्लाक्सीसिन की ड्रिप चढ़ाते ही आज सुबह 15 मरीजों की तबीयत अचानक बिगड़ने लगी......;

Update: 2017-06-19 17:08 GMT

जिला अस्पताल में डायरिया पीड़ितों को दी गई थी दवा

बिलासपुर। जिला चिकित्सालय के आईसोलेशन वार्ड में भर्ती डायरिया के मरीजों को सिप्रोफ्लाक्सीसिन की ड्रिप चढ़ाते ही आज सुबह 15 मरीजों की तबीयत अचानक बिगड़ने लगी। इससे अस्पताल में हड़कंप मच गया। मरीजों की लगातार तबीयत बिगड़ने व उनको हो रही बेचैनी को देखते हुए सिविल सर्जन ने सिप्रोफ्ला क्सीसिन ड्रिप को हटवाकर दूसरा ड्रिप लगाने का निर्देश दिया। वहीं मरीजों को अन्य दवाइयां एवं इंजेक्शन दी गई। 

फिलहाल मरीजों की स्थिति सामान्य है। जिला अस्पताल के आईसोलेशन वार्ड में उपचार के लिए भर्ती डायरिया पीड़ित 15 मरीजों को आज सुबह सिप्रोफ्ला क्सीनि नामक ड्रिप चढ़ाया गया था। ड्रिप चढ़ाने के कुछ ही देर बाद ही मरीजों की तबीयत अचानक बिगड़ने लगी। मरीजों ने बेचैनी व शरीर में खुजली होने की शिकायत करते हुए वार्ड नर्स को इसकी जानकारी दी। वार्ड में मौजूद नर्स ने एक-एक कर मरीजों की तबीयत बिगड़ने पर घटना की जानकारी तत्काल डॉक्टरों को दी। आनन-फानन में पहुंचे डॉक्टरों ने मरीजों का हाल देखा और लगाए गए ड्रिप को हटवा दिया। इस दौरान पांच मरीजों की हालत गंभीर हो गई थी।

मामले की जानकारी लगते ही सिविल सर्जन ने सारे ड्रिप अस्पताल के वार्डो से वापस मंगा लिए। सिविल सर्जन ने मामले की जांच तक ड्रिप का उपयोग करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। मामले की जांच की जा रही है। जिला अस्पताल में ड्रिप चढ़ने के बाद एक-एक कर पांच मरीजों की तबीयत  बिगड़ने के बाद उक्त दवा के उपयोग पर फिलहाल जिला अस्पताल में पाबंदी लगा दी गई है। अस्पताल में दवा सप्लाई करने वाली एजेंसी के अलावा लोकल स्तर पर भी दवाएं खरीदी जाती है। जिला अस्पताल में सारी दवाएं रायपुर सीजीएम एससी से मंगाई जाती है। वहीं तत्काल मेंं आवश्यकता पड़ने पर स्थानीय तौर पर दवाइयों की खरीदी की जाती है मगर दवाइयां कहां से ली जाती है इसकी जानकारी अस्पताल प्रबंधन द्वारा नहीं दी जाती है।
 

पहले भी हो चुकी हैं घटनाएं
ज्ञात हो की पूर्व में भी गलत इंजेक्शन व दवाइंयों की वजह से कई घटनाएं हो चुकी है।स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगाए जाने वाले शिविरों में भी लापरवाही सामने आ चुकी है। उसके बाद भी शासन द्वारा इन कांडो में लिप् त आला अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं की गई। वहीं ऐसे बड़े-बड़े घटनाओं के बाद भी दवाइयों की जांच पर सवाल उठता है।
 

देर होने पर जान को हो सकता था खतरा
आज जिला अस्पताल में हुए ड्रिप चढ़ाने से मरीजों की हालत बिगड़ने के बाद स्थिति पर तुरंत काबू पा लिया गया अगर थोड़ी देर और हो जाती तो ड्रिप व दवा का असर पूरे शरीर पर हो जाता जिससे 15 मरीजों की जान पर बन आती वहीं अन्य मरीजों को भी इसका शिकार होना पड़ जाता हाल ही में हुए दर्राभाठा में डायरिया के प्रकोप के चलते 200 से ऊपर लोगों का उपचार शिविर लगाकर किया गया है। 
वहीं गंभीर मरीजों का जिला अस्पताल में उपचार किया गया है। ऐसे में आज हुई घटना से अस्पताल प्रबंधन व स्वास्थ्य महकमा सकते में है।
 

सभी पर एक सा दुष्प्रभाव
जिला अस्पताल की सारी दवाइयां रायपुर सीजी एमएससी से आती है।वहीं आज की घटना में जो सिप्राफ्लाक्सीन दवा दी गई है उसमें एक्सपयारी डेट भी अगस्त 2019 तक का है। वहीं अस्पताल स्टाफ का कहना है कि सभी दवाइयो के साथ एंटीबायोटिक दवा दी जा रही है। ऐसे में मरीजों की स्थिति बिगड़ने की वजह समझ से परे है। वहीं डॉक्टरों की माने तो सबकी अलग-अलग तासीर होने से दवा हिट कर गई होगी। मगर एक साथ 15 लोगों को एक ही जैसा असर होना कही ना कही दवा की गुणवत्ता पर सवालिया निशान लगाता है। हालाकि सारी दवाईयां लैब में जांच के लिए भेजी जा रही है।
 

जांच के बाद ही पता चलेगा
सिप्रोफ्लाक्सीसिन ड्रिप चढ़ाने के बाद से अचानक 15 मरीजों की तबियत बिगड़ने पर वार्डों से ड्रिप लगाने के लिए मना कर दिया गया है। वहीं डीवीडी में दी जाने वाली सिप्रोफ्लाक्सीसिन दवा पर पाबंदी लगा दी गई है। सभी दवाओं को रायपुर सीजीएमएससी वापस भेजा जा रहा है। जहां लैब में जांच के बाद ही पता चल पाएगा।
 

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