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नूरजहाँ! यादें!
- हरिशंकर परसाई गज़ल उसने छेड़ी मुझे साज देना,ज़रा उम्रे - रफ़्ता को आवाज़ देना ।आहें न भरीं शिकवे न किएकुछ भी न जुबाँ से काम लियातिस पर भी मुहब्बत छिप...

- हरिशंकर परसाई गज़ल उसने छेड़ी मुझे साज देना,ज़रा उम्रे - रफ़्ता को आवाज़ देना ।आहें न भरीं शिकवे न किएकुछ भी न जुबाँ से काम लियातिस पर भी मुहब्बत छिप...