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छोटी क्रिया में बड़े लाभ : तन-मन को संतुलित कर इंटरनल पावर को बूस्ट करता है 'गणेश हस्त मुद्रा'

आज के समय में चिंता, तनाव, आत्मविश्वास की कमी जैसी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। लिहाजा, इससे बचने के लिए लोग या तो दवाओं का सहारा लेते हैं या फिर मनोचिकित्सक का

छोटी क्रिया में बड़े लाभ : तन-मन को संतुलित कर इंटरनल पावर को बूस्ट करता है गणेश हस्त मुद्रा
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नई दिल्ली। आज के समय में चिंता, तनाव, आत्मविश्वास की कमी जैसी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। लिहाजा, इससे बचने के लिए लोग या तो दवाओं का सहारा लेते हैं या फिर मनोचिकित्सक का। ऐसे में भारतीय योग पद्धति गणेश हस्त मुद्रा की सलाह देता है, जो भले एक छोटी क्रिया है लेकिन बड़े लाभ देने वाला है।

भारत सरकार का आयुष मंत्रालय विघ्नहर्ता भगवान गणेश से प्रेरित “गणेश हस्त मुद्रा” को मन और शरीर के संतुलन का सरल और कई लाभ देने वाला मुद्रा के रूप में बताता है। यह छोटी-सी हाथ की मुद्रा मानसिक अवरोधों को दूर कर आत्मविश्वास और इंटरनल पावर को तेजी से बढ़ाती है। इसे रोजाना कुछ मिनट करने से तनाव, चिंता और निगेटिविटी दूर होती है और पॉजिटिव एनर्जी का संचार होता है।

गणेश मुद्रा हृदय चक्र (अनाहत चक्र) को सक्रिय करती है, जिससे भावनात्मक स्थिरता, साहस और उत्साह में वृद्धि होती है। यह मुद्रा विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो निर्णय लेने में हिचकिचाहट, आत्मविश्वास की कमी या मानसिक ब्लॉक महसूस करते हैं।

विशेषज्ञ गणेश हस्त मुद्रा करने से मिलने वाले लाभ को गिनाने के साथ ही इसकी सही विधि भी बताते हैं। इसके लिए शांत जगह पर सीधे बैठ जाएं, रीढ़ और गर्दन सीधी रखें। फिर दोनों हाथों को छाती के सामने लाएं। बाएं हाथ की मुट्ठी बंद करें, अंगूठा बाहर की तरफ रहे और दाएं हाथ को बाएं हाथ के ऊपर रखें और उसी तरह मुट्ठी बनाएं, अंगूठा बाहर की ओर रहे। अब दोनों मुट्ठियों को आपस में मजबूती से पकड़ें, कोहनियां कंधों के बराबर ऊंची रहें। मुद्रा बनाने के बाद गहरी सांस लें और सांस छोड़ते समय दोनों हाथों को विपरीत दिशा में हल्का-हल्का खींचें। इस स्थिति में 10 से 20 सेकंड तक रुकें, फिर हाथ ढीला करें। इसे 5-9 बार दोहराएं।

यह मुद्रा किसी भी उम्र के महिला-पुरुष कर सकते हैं। गणेश मुद्रा के अभ्यास से कई लाभ मिलते हैं। मानसिक अवरोध और नकारात्मक विचार दूर होते हैं। आत्मविश्वास और साहस में वृद्धि होती है। तनाव, डर और चिंता में तुरंत राहत मिलती है। हृदय क्षेत्र में ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है। शरीर-मन में संतुलन और स्थिरता आती है।


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