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ओवरथिंकिंग आपको भी तो नहीं करती परेशान? आयुर्वेद से जानें समाधान

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में ओवरथिंकिंग यानी एक ही बात को बार-बार सोचते रहना आम समस्या बन गई है

ओवरथिंकिंग आपको भी तो नहीं करती परेशान? आयुर्वेद से जानें समाधान
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नई दिल्ली। आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में ओवरथिंकिंग यानी एक ही बात को बार-बार सोचते रहना आम समस्या बन गई है। छोटी-छोटी बातें भी दिमाग में घूमती रहती हैं, नींद उड़ जाती है और पूरा दिन तनाव में बीतता है। इसका समाधान आयुर्वेद में है।

ओवरथिंकिंग या एक ही बात को बार-बार सोचने की समस्या को आयुर्वेद मुख्य रूप से वात दोष के असंतुलन से जोड़ता है, जिससे मन बेचैन और अस्थिर हो जाता है। खास बात है कि आयुर्वेद के पास इसका समाधान है। आयुर्वेदिक उपाय और रोजमर्रा की आदतों से इस समस्या पर काबू पाया जा सकता है।

आयुर्वेद विशेषज्ञों के अनुसार, ओवरथिंकिंग की समस्या होने के कई कारण हैं, भविष्य की चिंता, पुरानी बुरी यादें, परफेक्शन का दबाव, सोशल मीडिया से तुलना, अनियमित दिनचर्या, नींद पूरी न हो पाना और खान-पान की गड़बड़ी। इससे फोकस खत्म हो जाता है, स्ट्रेस हार्मोन बढ़ते हैं, दिल की धड़कन तेज चलती है और थकान रहने लगती है।

आयुर्वेद में इसे ठीक करने के लिए वात दोष को संतुलित करना जरूरी बताया गया है। इसके साथ ही दिमाग को स्थिर करने वाली आदतें अपनाने की सलाह भी दी जाती है। इसके लिए दिनचर्या को सही तरह से बनाएं, गर्म और पौष्टिक भोजन लें।

ओवरथिंकिंग से बचने के लिए कुछ घरेलू आयुर्वेदिक नुस्खे भी हैं। इसके लिए रात को सोते समय तुलसी या कैमोमाइल की हल्की चाय पिएं। खाने में थोड़ा देसी घी जरूर डालें। एक गिलास गर्म दूध में आधा-एक चम्मच अश्वगंधा पाउडर मिलाकर पिएं। सोने से पहले तिल के तेल से सिर और तलवों की हल्की मालिश करें। हल्का मंत्र जाप या शांत संगीत सुनें और सोने-उठने का समय फिक्स रखें।

ओवरथिंकिंग की समस्या से राहत पाने के लिए कुछ आसान टेक्निक भी हैं। कुछ सेकंड तक गहरी सांस लें और धीरे-धीरे छोड़ें।

जो भी दिमाग में चल रहा है, उसे कागज पर लिखकर 'माइंड डंप' करें। इसके लिए 5-4-3-2-1 टेक्निक को अपनाना भी फायदेमंद है। इसके लिए आसपास की 5 चीजें देखें, 4 चीजें छुएं, 3 आवाजें सुनें, 2 गंध सूंघें और 1 स्वाद लें। मोबाइल, टीवी, लैपटॉप या कंप्यूटर की स्क्रीन टाइमिंग कम करें और प्रतिदिन सुबह-शाम टहलने की आदत डालें।

एक्सपर्ट का कहना है कि विचार आना स्वाभाविक है, लेकिन हर विचार को सच मानने की जरूरत नहीं। छोटी-छोटी आदतें अपनाने से दिमाग शांत और स्थिर होने लगता है। अगर समस्या बहुत ज्यादा है तो किसी योग्य आयुर्वेदाचार्य या साइकोलॉजिस्ट से सलाह अवश्य लें।


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