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बच्चों में सीने में जकड़न और खांसी से परेशानी, अपनाएं आयुर्वेद के कारगर उपाय

सर्दियों का मौसम बच्चों के लिए चुनौतियों से भरा होता है। ठंड और सर्द हवाएं उनकी सेहत को जल्दी प्रभावित करती हैं

बच्चों में सीने में जकड़न और खांसी से परेशानी, अपनाएं आयुर्वेद के कारगर उपाय
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नई दिल्ली। सर्दियों का मौसम बच्चों के लिए चुनौतियों से भरा होता है। ठंड और सर्द हवाएं उनकी सेहत को जल्दी प्रभावित करती हैं। अक्सर बच्चों में सीने में जकड़न, खांसी या सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएं सामने आती हैं, जिसके कारण बच्चा न तो खेल पाता है और न ही सो पाता है। पूरे दिन बेचैनी रहती है। ऐसे में दादी-नानी की पीढ़ियों से चले आ रहे पारंपरिक नुस्खे काफी मददगार साबित हो सकते हैं।

आयुर्वेद के अनुसार, बच्चों में ठंड के कारण होने वाली समस्या को रोकने और सुधारने के लिए शरीर और मन दोनों का संतुलन होना जरूरी है। अगर बच्चा मां के दूध पर निर्भर है, तो मां का खान-पान शुद्ध और संतुलित होना चाहिए। ठंडी तासीर वाली चीजें, भारी और मसालेदार भोजन, या गैस व कब्ज पैदा करने वाले खाने से बचना चाहिए। मां की पाचन शक्ति और इम्यूनिटी ठीक होने पर बच्चे को भी लाभ मिलता है।

आयुर्वेद में तिल का तेल एक वरदान माना गया है। इसमें गर्म तासीर के साथ-साथ एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। यह श्वसन मार्ग को खोलने, फेफड़ों की नसों को आराम देने और बलगम को निकालने में मदद करता है।

छोटे बच्चों के लिए तिल के तेल की हल्की गर्म मालिश सबसे असरदार उपाय है। इसे हल्का गर्म करके बच्चे के सीने, पीठ और हाथ-पैरों पर धीरे-धीरे मसाज करना चाहिए। मसाज करते समय हल्के हाथों का प्रयोग करें ताकि बच्चे को आराम मिले। यह न सिर्फ ठंड और जकड़न को कम करता है बल्कि बच्चे की नींद को बेहतर बनाता है।

पान का पत्ता भी आयुर्वेद में एक अद्भुत उपाय माना गया है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एक्सपेक्टोरेंट गुण मौजूद होते हैं, जो बलगम को निकालकर फेफड़ों की नसों को आराम देते हैं। इसके लिए पान का पत्ता हल्का सा तवे पर सेंक लें और ऊपर से तिल का तेल लगाएं। ध्यान रहे कि पत्ता हल्का-सा गर्म हो। फिर इसे बच्चे के सीने पर रखें और ऊपर से मुलायम कपड़ा ढक दें। यह उपाय ठंडी हवा से होने वाली जकड़न और खांसी को कम करने में मदद करता है।

जायफल और छुआरे भी बच्चों की सर्दियों की जकड़न में राहत देने वाले प्राकृतिक उपाय हैं। आयुर्वेद में जायफल को हल्की गर्म तासीर वाला माना गया है, जो पाचन को सुधारता है और शरीर को अंदर से गर्म रखता है।

अगर बच्चे को मुनक्का, दूध में भीगा छुआरा और थोड़ी मात्रा में जायफल पाउडर मिलाकर खिलाया जाए, तो यह जकड़न और खांसी को कम करता है और बच्चे की नींद में सुधार करता है।

छोटे बच्चों में जकड़न, खांसी या सांस की समस्या गंभीर हो सकती है। इसलिए किसी भी उपाय को अपनाने से पहले हमेशा अपने बाल रोग विशेषज्ञ या डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें।


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