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गले में दर्द, खराश, आवाज बैठना और खाना निगलने में परेशानी का रामबाण इलाज, अपनाएं ये घरेलू नुस्खे

सर्दियों में बार-बार तापमान का बदलना और हवा गले की नमी छीन लेते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, सर्दियों में शरीर का वात और कफ दोनों असंतुलित हो जाते हैं, जिससे गला जल्दी सूखने, भारी होने या बैठ जाने लगता है। विज्ञान भी मानता है कि ठंडी और सूखी हवा गले की म्यूकस लाइनिंग को प्रभावित करती है, जिससे वायरस और बैक्टीरिया शरीर में तेजी से पकड़ बना लेते हैं।

गले में दर्द, खराश, आवाज बैठना और खाना निगलने में परेशानी का रामबाण इलाज, अपनाएं ये घरेलू नुस्खे
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गले की खराश और दर्द से मिनटों में राहत देंगी ये तीन चीजें, सर्दियों में इस तरह करें सेवन

नई दिल्ली। सर्दियों में बार-बार तापमान का बदलना और हवा गले की नमी छीन लेते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, सर्दियों में शरीर का वात और कफ दोनों असंतुलित हो जाते हैं, जिससे गला जल्दी सूखने, भारी होने या बैठ जाने लगता है। विज्ञान भी मानता है कि ठंडी और सूखी हवा गले की म्यूकस लाइनिंग को प्रभावित करती है, जिससे वायरस और बैक्टीरिया शरीर में तेजी से पकड़ बना लेते हैं।

ऐसे में गले में दर्द, खराश, आवाज बैठना और खाना निगलने में परेशानी होना आम है, लेकिन अगर घर की रसोई में मौजूद कुछ चीजों से प्राकृतिक उपाय किए जाएं, तो इससे समस्या से जल्द राहत मिलती है।

काली मिर्च: काली मिर्च को आयुर्वेद में एक ऐसी औषधि के रूप में माना गया है, जो बलगम को कम करने में मदद करती है। काली मिर्च में पाया जाने वाला पाइपरीन नामक तत्व गले में जमा अतिरिक्त कफ को कम करता है और आवाज को साफ बनाता है। जब इसे मिश्री के साथ चबाकर खाया जाता है तो यह गले की सूजन और भारीपन को कम करने में मदद करता है। मिश्री गले के लिए शीतल और मुलायम प्रभाव देने वाली मानी जाती है, जो जलन और खराश को कम करती है।

विज्ञान के मुताबिक, काली मिर्च का एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव गले की सूजन कम करता है, जिससे आवाज पहले से ज्यादा साफ महसूस होती है। तुलसी और काली मिर्च से बना काढ़ा इसमें और ताकत जोड़ता है क्योंकि तुलसी में मौजूद यूजेनॉल गले के इंफेक्शन से लड़ने में मदद करता है।

अदरक: सर्दियों में अदरक का रस गले के लिए किसी प्राकृतिक औषधि से कम नहीं होता। आयुर्वेद में अदरक को पाचन और श्वसन तंत्र को मजबूत करने वाला माना गया है। अदरक में मौजूद जिंजरॉल नामक तत्व सूजन को कम करने और दर्द में राहत देने का काम करता है। जब इसका रस नींबू और सेंधा नमक के साथ लिया जाता है तो यह गले की मांसपेशियों को आराम देता है और सूजन को जल्दी शांत करता है।

नींबू की हल्की अम्लीय प्रकृति गले में जमा बैक्टीरिया को कम करती है और सेंधा नमक गले की सफाई में सहयोग करता है। वैज्ञानिक अध्ययनों में भी पाया गया है कि अदरक वायरल इंफेक्शन की तीव्रता को कम करने में मददगार है।

मुलेठी: मुलेठी को आयुर्वेद में यष्टिमधु कहा गया है और यह गले की सूजन, खराश और दर्द को शांत करती है। इसमें मौजूद प्राकृतिक मिठास गले पर एक सुरक्षात्मक परत बनाती है जिससे जलन कम होती है। मुलेठी के साथ-साथ मिश्री और आंवला...ये तीन चीजें मिलकर गले के लिए एक बेहतरीन प्राकृतिक टॉनिक होती हैं। आंवला विटामिन सी का प्रमुख स्रोत है और शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाता है। इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण गले के संक्रमित टिश्यू को जल्दी ठीक होने में मदद करते हैं।

मिश्री इस मिश्रण को संतुलित करती है और गले को कोमलता प्रदान करती है। वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि मुलेठी में ग्लाइसीराइजिन नामक यौगिक होता है जो सूजन कम करता है और आंवला शरीर की हीलिंग प्रक्रिया को तेज करता है।


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