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माताओं के लिए वरदान है हलिम, स्वाद के साथ रखे सेहत का भी ख्याल

हलिम (गार्डन क्रेस सीड्स) दिखने में भले ही साधारण लगे, लेकिन इसमें सेहत का खजाना छिपा है। नई माताओं के लिए इसे बेहद पौष्टिक माना जाता है

माताओं के लिए वरदान है हलिम, स्वाद के साथ रखे सेहत का भी ख्याल
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नई दिल्ली। हलिम (गार्डन क्रेस सीड्स) दिखने में भले ही साधारण लगे, लेकिन इसमें सेहत का खजाना छिपा है। नई माताओं के लिए इसे बेहद पौष्टिक माना जाता है। आयुर्वेद में इसे अस्तिक्य बीज या गर्दभ बीज कहा जाता है।

हलिम प्रसव के बाद महिलाओं की कमजोरी दूर करने, दूध बढ़ाने और खून की कमी ठीक करने में मदद करता है। इसलिए कई जगहों पर हलिम के लड्डू नई माताओं को खास तौर पर खिलाए जाते हैं। यह लड्डू स्वाद में भी अच्छे होते हैं और शरीर को ताकत भी देते हैं, इसलिए सामान्य लोग भी इन्हें अपनी रोजमर्रा की डाइट में शामिल करते हैं।

हलिम के लड्डू बनाने की विधि काफी आसान है। पहले हलिम के बीजों को दूध में कुछ घंटे भिगोया जाता है, ताकि वे फूलकर नरम हो जाएं। इसके बाद घी गरम करके इसमें भिगोए हुए हलिम को हल्का-सा भून लिया जाता है। फिर इसमें नारियल, गुड़ और कटे हुए मेवे डालकर अच्छी तरह मिलाया जाता है। इसके बाद गैस बंद करके इसे थोड़ा ठंडा होने पर लड्डू बनाए जाते हैं। कुछ लोग इसमें इलायची और खसखस भी मिलाते हैं, जिससे लड्डू और भी पौष्टिक बन जाते हैं।

प्रसव के बाद कई महिलाओं को कमजोरी, कमर दर्द, थकान और दूध कम बनने जैसी दिक्कतें हो जाती हैं। ऐसे में हलिम के लड्डू खाना बेहद फायदेमंद होता है। इससे शरीर में गर्मी और ताकत मिलती है, हड्डियां मजबूत होती हैं और खून की मात्रा बढ़ती है। हलिम आयरन से भरपूर माना जाता है, इसलिए इसे खून की कमी में भी खाया जाता है।

हालांकि, यह बातें पारंपरिक अनुभवों और घरेलू मान्यताओं पर आधारित हैं। हर व्यक्ति का शरीर अलग तरह से प्रतिक्रिया दे सकता है, इसलिए प्रसव के बाद किसी भी नई चीज को डाइट में शामिल करने से पहले डॉक्टर या आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से सलाह लेना बेहतर रहता है। खासकर यदि किसी को एलर्जी, मधुमेह या कोई अन्य स्वास्थ्य समस्या हो, तो सावधानी जरूरी है।


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