सिपरी: यूक्रेन युद्ध ने करवाई जर्मन हथियारों की रिकॉर्ड बिक्री

सिपरी की नई रिपोर्ट के मुताबिक, यूक्रेन और गाजा युद्ध समेत वैश्विक तनावों के कारण 2024 में दुनिया की सबसे बड़ी हथियार कंपनियों ने रिकॉर्ड कमाई की है;

Update: 2025-12-03 11:34 GMT

सिपरी की नई रिपोर्ट के मुताबिक, यूक्रेन और गाजा युद्ध समेत वैश्विक तनावों के कारण 2024 में दुनिया की सबसे बड़ी हथियार कंपनियों ने रिकॉर्ड कमाई की है.

सिपरी की नई रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेन और गाजा युद्ध समेत वैश्विक तनावों के कारण 2024 में दुनिया की सबसे बड़ी हथियार कंपनियों ने रिकॉर्ड कमाई की है. यूरोप हथियारों के उत्पादन का नया केंद्र बनकर उभर रहा है. पहली बार, इलॉन मस्क की स्पेस कंपनी स्पेसएक्स ने सिपरी की शीर्ष 100 सूची में जगह बनाई है.

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, विश्व में जारी युद्धों और भू-राजनीतिक तनावों के चलते 2024 में वैश्विक हथियार निर्माताओं की कमाई रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई. दुनिया की 100 सबसे बड़ी रक्षा कंपनियों ने पिछले साल हथियारों की बिक्री और सैन्य सेवाओं से अपनी कुल कमाई में 5.9 फीसदी की बढ़त की. यह आंकड़ा लगभग 679 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड है.

सिपरी का कहना है कि हथियारों की मांग मुख्य रूप से यूक्रेन और गाजा में चल रहे युद्धों, वैश्विक और क्षेत्रीय स्तर पर फैलते भू-राजनीतिक तनावों और लगातार बढ़ते सैन्य खर्च के कारण बढ़ी है. थिंक टैंक के अनुसार, इस मांग को पूरा करने के लिए कई कंपनियों ने अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाई, नए केंद्र बनाए, सहायक कंपनियां शुरू कीं या अपनी प्रतिस्पर्धी कंपनियों का अधिग्रहण किया.

टॉप पर कौन

हथियारों के बाजार में अमेरिका का दबदबा इस साल भी कायम रहा और टॉप 100 में से 39 कंपनियां अमेरिका की ही हैं. इनका डिफेंस रेवेन्यू 3.8 फीसदी बढ़कर 334 अरब डॉलर हो गया, जो कुल रेवेन्यू का लगभग आधा है. लॉकहीड मार्टिन फिर से सूची में सबसे ऊपर रही, जिसके बाद आरटीएक्स और नॉरथ्रॉप ग्रुमन का नाम आता है. पहली बार, एलन मस्क की स्पेस कंपनी स्पेसएक्स ने सिपरी की शीर्ष 100 सूची में जगह बनाई और 77वें स्थान पर रही. सिपरी ने बताया कि कंपनी का डिफेंस रेवेन्यू साल-दर-साल दोगुने से अधिक बढ़कर 1.8 अरब डॉलर हो गया.

रूस को छोड़कर पूरे यूरोप में, यूक्रेन युद्ध से जुड़ी मजबूत मांग और मॉस्को से खतरे की बढ़ती आशंका के चलते हथियारों से होने वाली आय 13 फीसदी बढ़कर 151 अरब डॉलर हो गई. जर्मनी की चार बड़ी रक्षा कंपनियों में शामिल राइनमेटाल (20वां स्थान), थिसेनक्रुप (61वां), हेनसोल्ड्ट (62वां) और डील (67वां) ने सामूहिक रूप से 36 फीसदी की जबरदस्त वृद्धि दर्ज की और कुल आय करीब 14.9 अरब डॉलर तक पहुंच गई.

यूक्रेन, रूस और इस्राएल में युद्ध से बिक्री बढ़ी

यूक्रेन के खिलाफ रूस का युद्ध दोनों देशों की कंपनियों के रक्षा राजस्व को भी प्रभावित कर रहा है. यूक्रेनी रक्षा समूह 'जेएससी यूक्रेनी डिफेंस इंडस्ट्री' ने 41 फीसदी वृद्धि दर्ज की. इस बीच, प्रतिबंधों और कलपुर्जों की कमी के बावजूद रूस की रोस्टेक और यूनाइटेड शिपबिल्डिंग कॉर्पोरेशन का कुल रेवेन्यू 23 फीसदी बढ़कर 31.2 अरब डॉलर तक पहुंच गया. सिपरी ने बताया कि इनके निर्यात में गिरावट से होने वाली कमाई की भरपाई रूसी सेना की घरेलू मांग ने कर दी.

गाजा युद्ध को लेकर अंतरराष्ट्रीय आलोचना के बावजूद इस्राएली रक्षा कंपनियों ने भी वृद्धि दर्ज की. सिपरी की शोधकर्ता जुबैदा करीम ने कहा कि तीन लिस्टेड इस्राएली कंपनियों ने संयुक्त रूप से 16 फीसदी की वृद्धि के साथ 16.2 अरब डॉलर की कमाई की. इससे इतर, इस्राएली डिफेंस सिस्टम्स में पूरे विश्व की दिलचस्पी ज्यादा बढ़ी और 2024 के दौरान उन्हें नए अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर मिले.

चीन पर दबाव और यूरोप के लिए चेतावनी

सिपरी ने यूरोप के दोबारा हथियार जुटाने के अभियान के लिए बढ़ती चुनौतियों की ओर भी इशारा किया, खास तौर पर हथियारों के उत्पादन के लिए जरूरी सामग्री हासिल करने में. रिपोर्ट में चेताया गया है कि कई अहम खनिजों पर निर्भरता यूरोपीय उत्पादन को धीमा कर सकती है, क्योंकि इनमें से कई संसाधन चीन से आते हैं, जिसका रेयर अर्थ पर एक तरह से एकाधिकार है.

इस बीच, चीन का रक्षा उद्योग अपनी आंतरिक समस्याओं से जूझ रहा है. सिपरी विशेषज्ञ नान तियान ने कहा कि चीनी हथियार खरीद में भ्रष्टाचार के आरोपों की एक श्रृंखला के कारण 2024 में कई बड़े कॉन्ट्रैक्ट्स को स्थगित या रद्द कर दिया गया. नतीजतन, चीन का डिफेंस रेवेन्यू 10 प्रतिशत गिर गया. जापान और दक्षिण कोरिया में भारी बढ़त के बावजूद, एशिया और ओशिनिया में कुल 1.2 फीसदी की गिरावट देखी गई और यह 130 अरब डॉलर रह गया. यह दुनिया का एकमात्र ऐसा हिस्सा रहा जहां बिक्री में कमी आई.

'यूरोप बन रहा है हथियार निर्माण का हॉटस्पॉट'

पर्यावरण के मुद्दे पर काम करने वाले अंतरराष्ट्रीय एनजीओ ग्रीनपीस का कहना है कि नए आंकड़े हथियारों के उत्पादन के मामले में यूरोप में आए एक साफ बदलाव को दिखाते हैं. निरस्त्रीकरण कैंपेनर आलेक्जांडर लुर्त्स ने न्यूज एजेंसी डीपीए को बताया कि जहां अमेरिकी राजस्व में केवल मामूली वृद्धि हुई और चीनी बिक्री में गिरावट आई, वहीं यूरोप के कुल रेवेन्यू में भारी उछाल आया है. उन्होंने कहा, "यूरोप तेजी से वैश्विक पुन:शस्त्रीकरण का केंद्र (हॉटस्पॉट) बनता जा रहा है." लुर्त्स ने कहा कि रिकॉर्ड वैश्विक खर्च यह दर्शाता है कि दुनिया गलत दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, "सुरक्षा और शांति इस रास्ते से नहीं आएगी."

सिपरी 1989 से वैश्विक हथियारों के राजस्व पर नजर रख रहा है और 2015 से चीनी कंपनियों के डेटा को शामिल कर रहा है. थिंक टैंक घरेलू या विदेश में सशस्त्र बलों को दिए गए सभी भारी हथियारों की बिक्री और सैन्य सेवाओं की गणना करता है.

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