पुरानी रंजिश पर किया टेस्टर से वार, मिली 6 माह की सजा
पुरानी रंजिश के चलते युवक पर सुजानुमा हथियार (टेस्टर) से वार करने के मामले में आरोपी को न्यायालय द्वारा 6 माह के कारावास तथा 15 हजार रु. के अर्थदंड़ से दंड़ित किया गया है;
दुर्ग। पुरानी रंजिश के चलते युवक पर सुजानुमा हथियार (टेस्टर) से वार करने के मामले में आरोपी को न्यायालय द्वारा 6 माह के कारावास तथा 15 हजार रु. के अर्थदंड़ से दंड़ित किया गया है। धमधा पुलिस ने इस मामले में पूर्व में आरोपी के खिलाफ रास्ता रोक कर साधारण मारपीट करने का अपराध पंजीबद्ध किया था।
चिकित्साधीन अवधि में घायल की हालत नाजुक होने पर आरोपी के खिलाफ जानलेवा हमले की धारा 307 का इजाफा प्रकरण में किया गया था। इस मामले में न्यायाधीश ने आरोपी को दफा 324 के तहत दोषी मानते हुए दंड़ित करने का फैसला सुनाया है।
प्रकरण के अनुसार धमधा निवासी दीपक उर्फ गालू ढीमर 19 जून 2015 की रात बर्फ लेने के उद्देश्य से मोटरसायकल से बाजार जा रहा था। इसी दौरान ढीमर चौक के समीप गोलू को अजय उर्फ कीर्ति ढीमर ने रोक लिया और पुरानी रंजिश को लेकर गाली गलौच करने लगा। जिसके बाद बिजली सुधार कार्य में उपयोग आने वाले टेस्टर से वार कर दिया। इस हमले से गोलू के पेट, छाती और हाथ बांह में गंभीर चोटे आई थी।
जिसे उपचार के अस्पताल में दाखिल कराया गया था। इस मामले में पूर्व में पुलिस ने आरोपी अजय के खिलाफ दफा 294, 323, 506 बी, 341 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया था। उपचार के दौरान टेस्टर के वार से लगी चोटों से गोलू की हालत बिगड़ने लगी थी। वहीं चिकित्सकीय रपट में भी संघातिक चोट लगने की जानकारी मिलने पर पुलिस द्वारा प्रकरण में दफा 307 का इजाफा कर प्रकरण को विचारण के लिए न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया था।
इस मामले में जिला न्यायाधीश आर.के. अग्रवाल की अदालत में विचारण किया गया। विचारण के दौरान न्यायाधीश ने पीड़ित के कथन तथा टेस्टर को घातक हथियार की परिभाषा में शामिल न होने का हवाला देते हुए आरोपी को दफा 307 के स्थान पर दफा 324 के तहत दोषी माना।
आरोपी अजय उर्फ कीर्ति ढ़ीमर को दफा 324 के तहत 6 माह के कारावास तथा 15 हजार रु. के अर्थदंड़ से दंड़ित करने का निर्णय सुनाया है। वहीं अर्थदंड़ की अदा राशि को पीड़ित को भुगतान करने का निर्देश दिया है। अर्थदंड़ की राशि अदा नहीं किए जाने पर अभियुक्त को एक माह का अतिरिक्त कारावास भोगना होगा। अभियोजन पक्ष की ओर से लोक अभियोजक सुदर्शन महलवार ने पैरवी की थी।
पीड़ित का कथन बचाव में बना सहायक- इस प्रकरण में पीड़ित विनोद उर्फ गोलू ढीमर ने न्यायालय को बताया था कि घयाल होने के बाद उसे अस्पताल में दाखिळ कराया गया था। जहां मौजूद डॉक्टर द्वारा सहीं इलाज नहीं किए जाने से उसकी हालत नाजुक हो गई थी। जिसके बाद दूसरे डॉक्टर के इलाज से उसे स्वास्थ्य में सुधार आया था। पीड़ित के इस कथन को न्यायालय ने गंभीरता से लिया और टेस्टर से किए गए वारों जानलेवा नहीं माना। जिसका लाभ आरोपी को मिला।