निर्मला सीतारमण को संसद में बजट पर चर्चा नहीं हो पाने का मलाल

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को इस बात का मलाल है कि देश के जिस आम बजट को उन्होंने इतनी मेहनत एवं ईमानदारी से आम आदमी को सशक्त करने और देश की अर्थव्यवस्था की वृद्धि को गति देने के लिए बनाया;

Update: 2023-04-04 23:22 GMT

नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को इस बात का मलाल है कि देश के जिस आम बजट को उन्होंने इतनी मेहनत एवं ईमानदारी से आम आदमी को सशक्त करने और देश की अर्थव्यवस्था की वृद्धि को गति देने के लिए बनाया, पर उस पर संसद में चर्चा नहीं हो सकी।

श्रीमती सीतारमण ने आज यहां कुछ पत्रकारों के अनौपचारिक चर्चा में कहा कि उन्होंने वित्त मंत्री के रूप में जितने भी आम बजट संसद में पेश किये, उनमें आंकड़ों को लेकर पूरी ईमानदारी एवं स्पष्टता बरती गयी है। उनमें से किसी पर भी किसी ने अवास्तविक होने का आरोप नहीं लगाया और इस बार भी उन्होंने गरीबों एवं आम आदमी को सशक्त बनाने के लिए आम बजट तैयार किया है।

उन्होंने कहा कि वह चाहतीं थीं कि संसद के दोनों सदनों में बजट पर चर्चा होती और उन्हें सांसदों एवं देश को बजट के विभिन्न पहलुओं के बारे में विस्तार से बताने का मौका मिलता कि किस प्रकार से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गरीबों एवं आम आदमी को सशक्त बनाने के लिए काम कर रहे हैं और देश की आर्थिक स्थिति भी उतनी ही मजबूत हो रही है।

श्रीमती सीतारमण ने कहा कि विपक्ष को यह बात अच्छी तरह से समझ में आ गयी है कि आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत है और सरकार को इस मोर्चे पर घेरना कठिन है, इसलिए निराधार मुद्दों को उठाने और प्रधानमंत्री की छवि धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि संसद के बजट सत्र का 13 मार्च को शुरू हुआ उत्तरार्ध अथवा दूसरा चरण कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लंदन में दिये विवादित बयान और अडानी समूह पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को लेकर हंगामों की भेंट चढ़ गया और आम बजट और वित्त विधेयक बिना चर्चा के पारित किया गया।

वित्त मंत्री ने आर्थिक स्थिति की चर्चा करते हुए कहा कि बीते पांच वर्षों में सरकार ने किसी भी कर की दर में कोई वृद्धि नहीं की लेकिन समाप्त वित्त वर्ष 2022-23 में प्रत्यक्ष कर संग्रहण में 16 प्रतिशत से अधिक वृृद्धि दर्ज की गयी है। देश में विदेशी मुद्रा भंडार 590 अरब डॉलर से अधिक है। भारत में विदेशी निवेश भी आ रहा है। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के बाद दुनिया की तमाम अर्थव्यवस्थाएं दबाव में हैं लेकिन भारत की वृद्धि दर सर्वाधिक बनी हुई है। विश्व बैंक ने दुनिया की तमाम अर्थव्यवस्थाओं की रेटिंग में जबरदस्त कटौती की है लेकिन भारत में वृद्धि दर के अनुमान में कमी सबसे कम है।

विनिवेश के लक्ष्यों के बारे में पूछे जाने पर वित्त मंत्री ने कहा कि विनिवेश की प्रक्रिया रुकी नहीं है पर मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह बाजार पर निर्भर है कि कब कितना विनिवेश हो पाता है।

Full View

Tags:    

Similar News