केजरीवाल को उपराज्यपाल कार्यालय में धरना देने की अनुमति किसने दी : अदालत
दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को आम आदमी पार्टी (आप) सरकार से जवाब मांगा है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगियों को उपराज्यपाल के कार्यालय में धरना देने की अनुमति किसने दी;
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को आम आदमी पार्टी (आप) सरकार से जवाब मांगा है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगियों को उपराज्यपाल के कार्यालय में धरना देने की अनुमति किसने दी। न्यायालय ने कहा कि उपराज्यपाल का कार्यालय कोई धरना स्थल नहीं है। न्यायमूर्ति ए.के. चावला और न्यायमूर्ति नवीन चावला की अवकाश पीठ ने कहा, "अगर यह हड़ताल या धरना है, तो इसे कहीं और होना चाहिए। इसे हड़ताल नहीं बोला जा सकता।"
पीठ ने कहा कि प्रदर्शनकारी किसी के कार्यालय या आवास में नहीं जा सकते और धरना नहीं दे सकते, इसी तरह उपराज्यपाल के आवास पर धरना नहीं दिया जा सकता।
केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और मंत्रियों सत्येंद्र जैन व गोपाल राय उपराज्यपाल के कार्यालय-सह-आवास पर 11 जून से धरना पर हैं।
जवाब में आप की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता सुधीर नंदराजोग ने कहा कि यह मुख्यमंत्री और मंत्रियों का निजी निर्णय था और उपराज्यपाल के कार्यालय पर आप नेताओं ने किसी सरकारी काम में कोई बाधा उत्पन्न नहीं कर रहे हैं।
नंदराजोग ने अदालत को बताया कि आईएएस अधिकारियों ने एक संवाददाता सम्मेलन में स्वीकार किया है कि वे मंत्रियों द्वारा आयोजित बैठकों में शामिल नहीं हो रहे हैं। यह उपराज्यपाल को पता है, लेकिन वह कोई समाधान नहीं निकाल रहे हैं।
पीठ उपराज्यपाल के आवास पर अरविंद केजरीवाल के धरना के मामले की तीन अलग-अलग याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी।
दूसरी याचिका में नगर वकील हरिनाथ राम ने अपने वकीलों शशांक देव सुधी और शशि भूषण द्वारा दायर करवाते हुए उपराज्यपाल के आवास पर केजरीवाल और अन्य मंत्रियों के असंवैधानिक और अवैध धरने को खत्म करने की अपील की।
वहीं अधिवक्ता उमेश गुप्ता द्वारा दायर याचिका में आईएएस अधिकारियों द्वारा जारी 'अनौपचारिक हड़ताल' को खत्म करने की अपील की।
उच्च न्यायालय ने सभी मामलों की सुनवाई के लिए शुक्रवार की तिथि निश्चित की है।
केजरीवाल ने कहा है कि वह और उनके साथी उनकी मांगें पूरी होने तक उपराज्यपाल का आवास नहीं छोड़ेंगे। उनकी मांगों में आईएएस अधिकारियों को हड़ताल खत्म करने, चार महीने काम में अवरोध करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई तथा गरीबों को उनके घर पर राशन उपलब्ध कराने के उनकी सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी देना है।