ममता बनर्जी का आरोप: एआई से हटाए जा रहे मतदाताओं के नाम
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया कि एआई की मदद से मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं;
भाजपा पर निशाना, 1.5 करोड़ नाम हटाने का लक्ष्य बताया
- 54 लाख मतदाताओं के नाम गायब, नकली पहचान से वोटिंग का खतरा
- एसआईआर प्रक्रिया पर सवाल, बीएलए को अनुमति देने की मांग
- पुरुलिया में बुजुर्ग की आत्महत्या से ममता ने उठाए संवेदनशीलता के सवाल
कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को दावा किया कि एआई की मदद से मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं।
बांकुरा जिले के बरजोरा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री बनर्जी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बंगाल की मतदाता सूची से 1.5 करोड़ नाम हटाने का लक्ष्य रखा है।
उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर वायरल हर वीडियो पर विश्वास न करें। आज एआई का युग है। उन्होंने (भाजपा ने) एआई की मदद से 54 लाख मतदाताओं के नाम हटा दिए हैं। मतदाताओं के मतदान के अधिकार को छीनने के लिए नकली नाम बनाए जा रहे हैं। जब लोग मतदान केंद्र जाएंगे तो उनको पता चलेगा कि वे वोट नहीं दे सकते, क्योंकि उसी नाम का कोई और व्यक्ति उनका वोट डाल देगा। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि अपनी आंखें और कान खुले रखें। विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) आपके लिए विनाशकारी साबित होगा।
उन्होंने यह भी मांग की कि एसआईआर सुनवाई सत्रों के दौरान बूथ स्तरीय एजेंटों (बीएलए) को उपस्थित रहने की अनुमति दी जाए।
सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि बीएलए को सुनवाई केंद्रों के अंदर जाने की अनुमति नहीं है। निर्देश व्हाट्सएप के माध्यम से भेजे जा रहे हैं। अगर चुनाव आयोग में हिम्मत है तो हमें लिखित में दें। हम न्याय के लिए जनता की अदालत और कानून की अदालत में जाएंगे।
उन्होंने बीएलए से तृणमूल कांग्रेस द्वारा स्थापित एसआईआर शिविरों में तैनात रहने का भी आग्रह किया ताकि एसआईआर सुनवाई के लिए बुलाए गए लोगों को हर तरह की सहायता प्रदान की जा सके।
मुख्यमंत्री बनर्जी ने कहा कि पुरुलिया के एक बुजुर्ग व्यक्ति का क्या कसूर था? उन्हें सोमवार को एसआईआर सुनवाई के लिए बुलाया गया था। इससे अपमानित होकर उन्होंने आत्महत्या कर ली। क्या आपको उनसे कोई सहानुभूति नहीं है? अगर आपके माता-पिता को सुनवाई के लिए बुलाया जाता, तो क्या आपको शर्म नहीं आती?